डा. राधिका नागरथ महाराज श्री को गंगाजलि भेंट करते हुए |
वे कनखल
में हरिगंगा सभागार में हरिद्वार
के नागरिकों की ओर से जनअधिकार
अभियान और गाँधी जागृति मिशन
द्वारा आयोजित नागरिक अभिनन्दन
समारोह में बोल रहे थे। यह
अभिनन्दन समारोह स्वामी
रामनरेशाचार्य महाराज के
चातुर्मास के समापन के अवसर
पर आयोजित किया गया था। उन्होंने
कहा कि रामानंदा सम्प्रदाय
ने सामाजिक जनजागरण के लिए
सराहनीय कार्य किया। रामानंदाचार्य
जी की वजह से समाज में फैली
सामाजिक विषमताओं को दूर किया
गया। उन्होंने कहा कि भक्त
रैदास से बड़ा कोर्इ भक्त नहीं
था। मीराबाई समेत
कई बड़े विद्वानों
और संतों ने रैदास महाराज से
दीक्षा ली। जो भारत की सामाजिक
एकता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष
वरिष्ठ पत्रकार प्राध्यापक
डा. कमलकांत बुधकर
ने कहा कि महाराज श्री ने
चातुर्मास के माध्यम से वैदिक
अनुष्ठानों के द्वारा तीर्थनगरी
हरिद्वार को ऊर्जावान बनाने
का कार्य किया है। उन्होंने
रामानंद सम्प्रदाय को सनातन
धर्म की उच्च मर्यादाओं
को साबित करते हुए जाति-
पाति का भेद मिटाकर
समाज को एक सूत्र में बांधने
कार्य किया है।
कार्यक्रम
के मुख्य संयोजक सुधीर कुमार
गुप्ता ने कहा कि महाराज श्री
के हरिद्वार आगमन से ऐसा लग
रहा है कि मानों शिव की नगरी
में राम और शिव का मिलन हो रहा
है। गुप्ता ने कहा कि राम शिव
में और शिव राम में रमन करते
है। कार्यक्रम की आयोजिका
डा. राधिका नागरथ
ने महाराज श्री को गंगाजलि
भेंट करते हुए कहा कि जिस तरह
माँ गंगा अपने पावन जल से हमें
शीतलता प्रदान करती है वैसे
ही महाराज श्री के उपदेश हमें
हमेशा शीतलता प्रदान करते
रहेंगे। कार्यक्रम के संचालक
पुरूषोतम शर्मा
गांधीवादी ने कहा कि रामानंद
सम्प्रदाय के निष्काम सिद्धि
का मार्ग ही नहीं बलिक दरिद्रनारायण
की सेवा के लिए लोक संग्रह का
मार्ग भी तय करता है। उन्होंने
कहा कि स्वामी रामनरेशाचार्य
वेदान्त एवं सनातन धर्म का
आदर्श स्थापित कर रहे हैं।
जनअधिकार अभियान के प्रदेश
अध्यक्ष सुनील दत्त पांडेय
ने कहा कि स्वामी रामनरेशाचार्य
ने चातुर्मास के दौरान बौद्धिक
गोष्ठियां करवाकर
देश की ज्वलन्त समस्याओं को
समाज के सामने रखा और उनके
निराकरण का रास्ता भी बताया।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय
आर्य ने कहा कि चातुर्मास
संतों के लिए आत्मचिंतन का
अवसर प्रदान करता है। आज संत
समाज में चातुर्मास की परम्परा
धीरे-धीरे समाप्त
हो रही है। परन्तु स्वामी
रामनरेशाचार्य महाराज ने इस
परम्परा को पुनस्र्थापित
करने का एक सराहनीय कार्य किया
है। कथावाचक पंडित जयप्रकाश
कौशिक ने कहा कि रामानंद
सम्प्रदाय ने देश की एकता और
अखण्डता के लिए अत्यंत सराहनीय
कार्य किया है। इस अवसर पर
महामंडलेश्वर डा. श्यामसुन्दर
दास शास्त्री ने रामानंद
सम्प्रदाय को सामाजिक एकता
का प्रतीक बताया। उत्तराखंड
संस्कृत विश्वविधालय के
कुलपति डा. महावीर
अग्रवाल ने कहा कि रामानंद
सम्प्रदाय ने जाति बंधनों को
तोड़कर समाज को नई
दिशा दी। इस अवसर पर हरिद्वार
नगर निगम के मेयर मनोज गर्ग,
रामकुमार एडवोकेट,
भगवत शरण अग्रवाल,
इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन
हरिद्वार के अध्यक्ष प्रभात
कुमार, महामंत्री
विनीत धीमान, प्रेस
क्लब के महामंत्री रामचंद्र
कन्नौजिया, वरिष्ठ
उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल,
सचिव विकास चौहान,
दीपक नोटियाल, महावीर
नेगी, शैलेन्द्र
सिंह, ललितेंद्र
नाथ, मनोज रावत,
अम्बरीश कुमार,
नीरज छाछर, अमित
कुमार, महन्त महेन्द्र
सिंह, महन्त शिवशंकर
गिरि, महन्त भगवानदास,
महन्त रघुवीरदास,
भरत शर्मा, कोमल
शर्मा आदि ने रामानंदाचार्य
स्वामी रामनरेशाचार्य महाराज
का स्मृति चिन्ह भेंट कर और
माला पहनाकर स्वागत किया।
निर्मल संस्कृत
महाविधालय के छात्रों ने
स्वसितवाचन कर महाराज श्री
का स्वागत किया।
(साभार
एक्सप्रेस इंडियन)
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