Thursday, January 16, 2020

काशी के पंडित ढुण्ढ़िराज पाण्डेय पर्वत को मिला 2020 का जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार



Swami Ramnareshacharya

वाराणसी, 17 जनवरी। 
जगद्गुरु रामानन्दाचार्य की 721वीं जन्म जयन्ती के पावन अवसर पर काशी के पंचगंगा घाट स्थित ऐतिहासिक रामानन्दाचार्य पीठ, श्रीमठ की ओर से बड़ी पियरी स्थित श्रीविहारम सभागार में गुरुवार को भव्य सारस्वत समारोह का समायोजन किया गया। समारोह में काशी के ख्यात विद्वान वेदमूर्ति पंडित ढुण्ढ़िराज पांडेय पर्वत को 2020 का जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार प्रदान किया गया। 


समारोह में अपना आशीर्वचन देते हुए श्रीमठ के वर्तमान पीठाधीश्वर और रामानंद संप्रदाय के प्रधान आचार्य जगदगुरु रामानंदाचार्य पद प्रतिष्ठित स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि राम का पुरुषोत्तम स्वरूप ही ईश्वरत्व है। रामजी के ही अवतार रामानन्दाचार्य जी ने उनके उस लोकोत्तर स्वरूप शरणागत भाव रुपी रामभक्ति के जनपथ को लोकजीवन में स्थापित कर लोककल्याण का मार्ग प्रशस्त किया।

स्वामी रामनरेशाचार्यजी महाराज ने रामानन्दाचार्य जयन्ती के अवसर पर संस्कृत एवं संस्कृति के क्षेत्र में श्रीमठ द्वारा प्रतिवर्ष दिये जाने वाले एक लाख रूपये की धनराशि वाले काशी के सबसे बड़े रामानन्दाचार्य पुरस्कार काशी के विद्वान वेदमूर्ति ढूंढ़िराज पाण्डेय पर्वतीय को प्रदान किया।

स्वामी जी ने कहा कि यह सम्मान नहीं जगद्गुरु रामानन्दाचार्य के आशीर्वाद का सम्प्रेषण है। हम तो केवल निमित्त रूप में प्रति वर्ष सनातन वैदिक धर्म, संस्कृति एवं साहित्य के साधकों को इसे समर्पित करते हैं।

स्वामी रामनरेशाचार्य ने इस अवसर पर प्रथम रामानन्दाचार्य पुरस्कार प्राप्तकर्ता स्व. प्रोफेसर भगवती प्रसाद सिंह के अप्राप्य ग्रंथ "रामभक्ति में रसिक सम्प्रदाय" का लोकार्पण भी किया। नये संस्करण का सम्पादन दिवंगत प्रोफेसर सिंह के शिष्य एवं भक्ति साहित्य के सुप्रतिष्ठित विद्वान डा. उदयप्रताप सिंह ने किया है। नये संस्करण का प्रकाशन आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली ने किया है। इस अवसर पर डा. उदय प्रताप सिंह का भी भक्ति साहित्य में उनके सर्जनात्मक योगदान के लिये सम्मान किया गया।

स्वामी रामानंदाचार्य जी महाराज का 721वां जन्म जयंती महोत्सव इस बार एक साथ ही काशी और प्रयागराज में मनाया जा रहा है। तीन दिनों तक चलने वाले जयंती महोत्सव के पहले दिन श्रीविहारम् में साहित्यिक गोष्ठी, पुरस्कार का वितरण और स्वामी जी के जीवन और कृतित्व पर चर्चा हुई। दूसरे दिन उनकी साधनाभूमि श्रीमठ में चरण पादूका पूजन, आचार्यजी की परंपरा से जुड़े संतों, श्रीमहंतों का सम्मान एवम् भंडारा तथा संध्या समय भजन गायन का कार्यक्रम है।

आदि जगदगुरु की प्राकट्य स्थली प्रयागराज के दारागंज स्थित हरित माधव मंदिर परिसर में भी 18 जनवरी को विशिष्ठ कार्यक्रम का समायोजन स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज के सान्निध्य में प्रस्तावित है।