Wednesday, July 29, 2020

विश्व परमौषधि के अनुपम प्रकाशक गोस्वामी तुलसीदास- जगदगुरु स्वामी रामनरेशाचार्य

जबलपुर के प्रेमानंद आश्रम में विधि-विधान से मनी गोस्वामी तुलसीदास की जयंती

SWAMI RAMNARESHACHARYA JI MAHARAJ
जबलपुर के जिलेहरी घाट स्थित प्रसिद्ध प्रेमानंद आश्रम में सावन शुक्ल संप्तमी यानि 27-7-2020 को गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती महोत्सव वैदिक सनातन धर्म की मर्यादा एवं समृद्धि के साथ मनाया गया। इस क्रम में उनके समग्र साहित्य का परायण, तैल चित्र की सविधि पूजन, बधाई गान तथा श्री रामभावाभिसिक्त महानुभावों के द्वारा गोस्वामी जी के विभिन्न अनुपम पक्षों को प्रस्तुत कर परमकल्याणकामियों को राम भाव रुपी गंगा में अवगाहन कराया गया। समापन पर विशिष्ट भंडारा समायोजित हुआ ।

जगदगुरु रामानंदाचार्यय पद प्रतिष्ठित स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज के दिव्य चातुर्मास महोत्सव के प्रसंग पर वैसे तो गोस्वामीजी की जयंती कार्यक्रम त्रिदिवसीय रूप से समायोजित था, परन्तु परमप्रभु श्रीराम जी की कृपा एवं प्रेरणा से (करोना महामारी की भयंकर छाया) में एक दिवसीय रूप में संपन्न हुआ।

अपने आशीर्वचन में स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि आज सम्पूर्ण संसार कोरोना की परम पीड़ा एवं हानि से पीड़ित है तथा उसके निवारण के लिए औषधि की खोज में है एवं  औषधि के बिना भी यथासंभव निवारण का प्रयास कर अपने को तथा दूसरों को संतोष दिला रहा है !

महाराजश्री ने आगे कहा कि  वैदिक सनातन धर्म के समस्त शास्त्र -ऋषि -मुनि -संत-महात्मा- आचार्यगण अनादि काल से कोरोना की ही औषधि तो बतलाते हैं। वह भी कुछ देर के लिए रोगों के निवारण के लिए नहीं, अपितु हमेशा-हमेशा के लिए। ऐसी महामारी को दूर करने वाली वैदिक शास्त्रों  के अनुसार जो सर्वमान्य है. जन्म-मरण, जरा (बुढ़ापा ) व्याधि, प्रिय का वियोग, अप्रिय का मिलन, घनघोर अपमान, धन एवं सम्मान की  हानि पद की हानि इत्यादि,  इन सभी कोरोनाओं की अचूक दवा गोस्वामी जी ने वैदिक शास्त्रों, संतो एवं गुरुओं से परिपूर्ण रूप से सीखा और उसके माध्यम से अपने (कोरोना ) माता-पिता, सहयोगी जनो का वियोग, घनघोर उपेक्षा, धन की नगण्यता इत्यादि अनेकानेक कोरोनाओं को हमेशा- हमेशा के लिए भगाकर अपने सर्वश्रेष्ठ मानव जीवन को वस्तुतः सर्वश्रेष्ठ बना दिया।
 
जगदगुरु रामनरेशाचार्य जी महाराज ने कहा- ''अपना ही नहीं अपितु असंख्य भावों का (जैसे परमप्रभु श्रीरामजी  ने अपने अवतार काल में सभी करोनाओं से ग्रसित कोल-भील, किरात, असुर आदि को बनाया था) रामचरित्रमानस का समापन करते हुए गोस्वामी जी ने लिखा है- पायो परम विश्राम राम समान प्रभु नाहीं कहूँ."

आचार्यश्री के मुताबिक मूल रूप से श्रीराम से जुड़ कर ही हमेशा-हमेशा के लिए सभी कोरोनाओं से मुक्त हुआ जा सकता है। अभी तो जिस रीति से शास्त्र, परमेश्वर, सदाचारी संत, गुरु और सात्विक आहार, विहार से रहित होकर केवल धन- प्रतिष्ठा, परमभोग की लालसा, जैसे-तैसे पद, अस्त्र- शस्त्र की प्राप्ति की विवेकहीन दौड़ में संसार दौड़ रहा है, उससे कभी भी परम विश्राम की सम्भावना नहीं है।

हमेशा अपने सर्वश्रेष्ठ मानव जीवन में गोस्वामी तुलसीदास जी के उपदेशों एवं जीवन चरित्रों से प्रेरणा  लेकर जो संपूर्ण वैदिक शास्त्रों का अनादि एवं अनुपम सारसर्वस्व है, परम धन्यता से मण्डित करना चाहिए।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने असंख्य जीवों को  इस परमौषधि से परम विश्राम से जोड़ा, जिसकी कोई दूसरी दवा नहीं। ( तुलसीदास जयंती प्रसंग पर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज के अमृत वर्षा रुपी प्रवचनों का संक्षिप्त अंश) 

Saturday, July 4, 2020

जगदगुरु स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज का चातुर्मास व्रत-2020 गुरुपूर्णिमा से जबलपुर में

रामभक्ति धारा को समर्पित रामानंद संप्रदाय के वर्तमान पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज का दिव्य चातुर्मास महोत्सव इस साल जबलपुर में मां नर्मदा के पावन तट पर होना सुनिश्चित हुआ है। स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज आद्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी की साधना स्थली श्रीमठ, पंचगंगा घाट, काशी के वर्तमान आचार्य हैं, जिसे वैराणी वैष्णव संप्रदाय अपने आचार्य स्वामी रामानंद की पादुका पीठ के नाम से पूजता है। दो महीने तक चलने वाले चातुर्मास व्रत अनुष्ठान का प्रारंभ गुरु पूर्णिमा यानि 5 जुलाई की पावन तिथि से होगा। 
Swami Ramnareshacharya
 


  काशी के श्रीमठ पीठाधीश्वर प्रत्येक वर्ष नियम पूर्वक चातुर्मास व्रत का अनुष्ठान पूरे विधि-विधान से देश के अलग-अलग स्थानों पर करते रहे हैं। सभी प्रमुख तीर्थों और महानगरों में स्वामी रामनरेशाचार्यजी महाराज के चातुर्मास अनुष्ठान समायोजित हो चुके हैं। पिछले साल माउंट आबू स्थित ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर प्रांगण में चातुर्मास व्रत का आयोजन हुआ था। इस वर्ष महाराजश्री जबलपुर में चातुर्मास के लिए संकल्पित हुए हैं। जबलपुर में मां नर्मादा के किनारे जिलेहरी घाट पर अवस्थित प्रेमानंद आश्रम को अनुष्ठान भूमि के रुप में चयनित किया गया है। 

   प्रेमानंद आश्रम में पावन चातुर्मास महापर्व का भव्य प्रारंभ 5 जुलाई गुरु पूर्णिमा से होगा। सियारामजी की कृपा छाया और स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज के पावन सान्निध्य में चातुर्मास महापर्व के दौरान प्रत्येक दिन अनेक प्रकार के मांगलिक अनुष्ठान होेंगे। प्रातः काल महाराजश्री पोषडोपचार विधि से श्रीसीताराम जी का पूजन करते हैं। फिर देव-ऋर्षि पितृतर्पण का कार्य संपादित करते हैं। समष्टि हवन और फिर स्वाध्याय का क्रम नियमित रुप से चलता है। दोपहर में वैष्णवाराधन और विश्राम के पश्चात संध्या काल के कार्यक्रम होते हैं। जिसमें आगंतुक संत-महंत अपने प्रवचनों ने उपस्थित श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते हैं। फिर महाराजश्री का आशीर्वचन स्वरुप प्रवचन होता है। चातुर्मास काल में सावन की प्रत्येक सोमवारी को भगवान शिव का रुद्राभिषेक के अलावे गोस्वामी तुलसीदास की जयंती, संत सम्मेलन, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, नंद महोत्सव, विनायक चतुर्थी, अनंत चतुर्दशी जैसे पर्व और महोत्सव धूमधाम से मनाये जाते हैं। इसके अलावे राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी, राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और विराट भंडारे का आयोजन में बीच-बीच में होते रहता है। पूरे दो महीने तक अखंड श्रीरामनाम संकीर्तन से भी पूरा वातावरण भक्तिमय रहता है।  


Swami Ramnareshacharya chaturmas


जबलपुर के प्रेमानंद आश्रम के श्रीमहंत श्यामदास जी महाराज उर्फ नागा बाबा ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा 5 जुलाई से लेकर भाद्र पूर्णिमा 02 सितम्बर, 2020 तक चलने वाले चातुर्मास अनुष्ठान के दौरान देश भर से भक्त,सद् गृहस्थ, संत- महंत और महामंडलेश्वर पधारेंगे। कोरोना संकट को देखते हुए सरकार की हर गाइडलाइंस खासकर साफ-सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष प्रबंध रखा जाएगा। आश्रम की विशालता, भव्यता, समुचित संसाधन और आवास की पर्याप्त सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए ही इस स्थान का चयन चातुर्मास महोत्सव के लिए किया गया है। आश्रम की प्राकृतिक छटा और संपूर्ण वातावरण कोरोना को दूर रखने में सहायक होगा, ऐसा व्यवस्थापकों का मानना है। 

महाराजश्री स्वयं भी इस बात के लिए प्रयत्नशील हैं कि धार्मिक अनुष्ठानों खासकर भंडारे और प्रवचनों के दौरान अनावश्यक भीडभाड़ न हो। उनकी ओर से विशाल परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग सहित कोरोना काल की जरुरी पाबंदियों का पालन अनिवार्य रुप से करने का निर्देश संतों- भक्तों को दिया गया है। ताकि चातुर्मास महापर्व का आध्यात्मिक स्वरूप हर स्थिति में बना रहे और किसी को किसी प्रकार का कष्ट न हो। 

जबलपुर में महाराजश्री तीसरी बार चातुर्मास कर रहे हैं। सन 1990 और 2001 में भी आचार्यश्री यहां चातुर्मास व्रत किये थे। यह तीसरा आयोजन है, जो सन 2020 में हो रहा है।