रामभक्ति धारा को समर्पित रामानंद संप्रदाय के वर्तमान पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज का दिव्य चातुर्मास महोत्सव इस साल जबलपुर में मां नर्मदा के पावन तट पर होना सुनिश्चित हुआ है। स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज आद्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी की साधना स्थली श्रीमठ, पंचगंगा घाट, काशी के वर्तमान आचार्य हैं, जिसे वैराणी वैष्णव संप्रदाय अपने आचार्य स्वामी रामानंद की पादुका पीठ के नाम से पूजता है। दो महीने तक चलने वाले चातुर्मास व्रत अनुष्ठान का प्रारंभ गुरु पूर्णिमा यानि 5 जुलाई की पावन तिथि से होगा।
काशी के श्रीमठ पीठाधीश्वर प्रत्येक वर्ष नियम पूर्वक चातुर्मास व्रत का अनुष्ठान पूरे विधि-विधान से देश के अलग-अलग स्थानों पर करते रहे हैं। सभी प्रमुख तीर्थों और महानगरों में स्वामी रामनरेशाचार्यजी महाराज के चातुर्मास अनुष्ठान समायोजित हो चुके हैं। पिछले साल माउंट आबू स्थित ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर प्रांगण में चातुर्मास व्रत का आयोजन हुआ था। इस वर्ष महाराजश्री जबलपुर में चातुर्मास के लिए संकल्पित हुए हैं। जबलपुर में मां नर्मादा के किनारे जिलेहरी घाट पर अवस्थित प्रेमानंद आश्रम को अनुष्ठान भूमि के रुप में चयनित किया गया है।
प्रेमानंद आश्रम में पावन चातुर्मास महापर्व का भव्य प्रारंभ 5 जुलाई गुरु पूर्णिमा से होगा। सियारामजी की कृपा छाया और स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज के पावन सान्निध्य में चातुर्मास महापर्व के दौरान प्रत्येक दिन अनेक प्रकार के मांगलिक अनुष्ठान होेंगे। प्रातः काल महाराजश्री पोषडोपचार विधि से श्रीसीताराम जी का पूजन करते हैं। फिर देव-ऋर्षि पितृतर्पण का कार्य संपादित करते हैं। समष्टि हवन और फिर स्वाध्याय का क्रम नियमित रुप से चलता है। दोपहर में वैष्णवाराधन और विश्राम के पश्चात संध्या काल के कार्यक्रम होते हैं। जिसमें आगंतुक संत-महंत अपने प्रवचनों ने उपस्थित श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते हैं। फिर महाराजश्री का आशीर्वचन स्वरुप प्रवचन होता है। चातुर्मास काल में सावन की प्रत्येक सोमवारी को भगवान शिव का रुद्राभिषेक के अलावे गोस्वामी तुलसीदास की जयंती, संत सम्मेलन, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, नंद महोत्सव, विनायक चतुर्थी, अनंत चतुर्दशी जैसे पर्व और महोत्सव धूमधाम से मनाये जाते हैं। इसके अलावे राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी, राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और विराट भंडारे का आयोजन में बीच-बीच में होते रहता है। पूरे दो महीने तक अखंड श्रीरामनाम संकीर्तन से भी पूरा वातावरण भक्तिमय रहता है।
जबलपुर के प्रेमानंद आश्रम के श्रीमहंत श्यामदास जी महाराज उर्फ नागा बाबा ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा 5 जुलाई से लेकर भाद्र पूर्णिमा 02 सितम्बर, 2020 तक चलने वाले चातुर्मास अनुष्ठान के दौरान देश भर से भक्त,सद् गृहस्थ, संत- महंत और महामंडलेश्वर पधारेंगे। कोरोना संकट को देखते हुए सरकार की हर गाइडलाइंस खासकर साफ-सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष प्रबंध रखा जाएगा। आश्रम की विशालता, भव्यता, समुचित संसाधन और आवास की पर्याप्त सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए ही इस स्थान का चयन चातुर्मास महोत्सव के लिए किया गया है। आश्रम की प्राकृतिक छटा और संपूर्ण वातावरण कोरोना को दूर रखने में सहायक होगा, ऐसा व्यवस्थापकों का मानना है।
महाराजश्री स्वयं भी इस बात के लिए प्रयत्नशील हैं कि धार्मिक अनुष्ठानों खासकर भंडारे और प्रवचनों के दौरान अनावश्यक भीडभाड़ न हो। उनकी ओर से विशाल परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग सहित कोरोना काल की जरुरी पाबंदियों का पालन अनिवार्य रुप से करने का निर्देश संतों- भक्तों को दिया गया है। ताकि चातुर्मास महापर्व का आध्यात्मिक स्वरूप हर स्थिति में बना रहे और किसी को किसी प्रकार का कष्ट न हो।
जबलपुर में महाराजश्री तीसरी बार चातुर्मास कर रहे हैं। सन 1990 और 2001 में भी आचार्यश्री यहां चातुर्मास व्रत किये थे। यह तीसरा आयोजन है, जो सन 2020 में हो रहा है।
Swami Ramnareshacharya |
काशी के श्रीमठ पीठाधीश्वर प्रत्येक वर्ष नियम पूर्वक चातुर्मास व्रत का अनुष्ठान पूरे विधि-विधान से देश के अलग-अलग स्थानों पर करते रहे हैं। सभी प्रमुख तीर्थों और महानगरों में स्वामी रामनरेशाचार्यजी महाराज के चातुर्मास अनुष्ठान समायोजित हो चुके हैं। पिछले साल माउंट आबू स्थित ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर प्रांगण में चातुर्मास व्रत का आयोजन हुआ था। इस वर्ष महाराजश्री जबलपुर में चातुर्मास के लिए संकल्पित हुए हैं। जबलपुर में मां नर्मादा के किनारे जिलेहरी घाट पर अवस्थित प्रेमानंद आश्रम को अनुष्ठान भूमि के रुप में चयनित किया गया है।
प्रेमानंद आश्रम में पावन चातुर्मास महापर्व का भव्य प्रारंभ 5 जुलाई गुरु पूर्णिमा से होगा। सियारामजी की कृपा छाया और स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज के पावन सान्निध्य में चातुर्मास महापर्व के दौरान प्रत्येक दिन अनेक प्रकार के मांगलिक अनुष्ठान होेंगे। प्रातः काल महाराजश्री पोषडोपचार विधि से श्रीसीताराम जी का पूजन करते हैं। फिर देव-ऋर्षि पितृतर्पण का कार्य संपादित करते हैं। समष्टि हवन और फिर स्वाध्याय का क्रम नियमित रुप से चलता है। दोपहर में वैष्णवाराधन और विश्राम के पश्चात संध्या काल के कार्यक्रम होते हैं। जिसमें आगंतुक संत-महंत अपने प्रवचनों ने उपस्थित श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते हैं। फिर महाराजश्री का आशीर्वचन स्वरुप प्रवचन होता है। चातुर्मास काल में सावन की प्रत्येक सोमवारी को भगवान शिव का रुद्राभिषेक के अलावे गोस्वामी तुलसीदास की जयंती, संत सम्मेलन, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, नंद महोत्सव, विनायक चतुर्थी, अनंत चतुर्दशी जैसे पर्व और महोत्सव धूमधाम से मनाये जाते हैं। इसके अलावे राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी, राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और विराट भंडारे का आयोजन में बीच-बीच में होते रहता है। पूरे दो महीने तक अखंड श्रीरामनाम संकीर्तन से भी पूरा वातावरण भक्तिमय रहता है।
Swami Ramnareshacharya chaturmas |
जबलपुर के प्रेमानंद आश्रम के श्रीमहंत श्यामदास जी महाराज उर्फ नागा बाबा ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा 5 जुलाई से लेकर भाद्र पूर्णिमा 02 सितम्बर, 2020 तक चलने वाले चातुर्मास अनुष्ठान के दौरान देश भर से भक्त,सद् गृहस्थ, संत- महंत और महामंडलेश्वर पधारेंगे। कोरोना संकट को देखते हुए सरकार की हर गाइडलाइंस खासकर साफ-सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष प्रबंध रखा जाएगा। आश्रम की विशालता, भव्यता, समुचित संसाधन और आवास की पर्याप्त सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए ही इस स्थान का चयन चातुर्मास महोत्सव के लिए किया गया है। आश्रम की प्राकृतिक छटा और संपूर्ण वातावरण कोरोना को दूर रखने में सहायक होगा, ऐसा व्यवस्थापकों का मानना है।
महाराजश्री स्वयं भी इस बात के लिए प्रयत्नशील हैं कि धार्मिक अनुष्ठानों खासकर भंडारे और प्रवचनों के दौरान अनावश्यक भीडभाड़ न हो। उनकी ओर से विशाल परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग सहित कोरोना काल की जरुरी पाबंदियों का पालन अनिवार्य रुप से करने का निर्देश संतों- भक्तों को दिया गया है। ताकि चातुर्मास महापर्व का आध्यात्मिक स्वरूप हर स्थिति में बना रहे और किसी को किसी प्रकार का कष्ट न हो।
जबलपुर में महाराजश्री तीसरी बार चातुर्मास कर रहे हैं। सन 1990 और 2001 में भी आचार्यश्री यहां चातुर्मास व्रत किये थे। यह तीसरा आयोजन है, जो सन 2020 में हो रहा है।
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