Friday, February 22, 2013

महाकुंभ में मना स्वामी रामनरेशाचार्य का जन्मदिन

प्रयाग महाकुंभ के दौरान यूं तो विविध प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान समायोजित हुए ,लेकिन श्रीमठ,काशी पीठाधीश्वर और रामानंद संप्रदाय के प्रधान आचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज का जन्मदिन समारोह अपने आप में अनूठा और यादगार बन गया। जगदगुरु रामानंदाचार्य पद प्रतिष्ठित स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज का जन्मदिन वसंत पंचमी (यानि 15 फरवरी ) के दिन ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया। भक्तों के विशेष आग्रह पर स्वामीजी जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित विविध कार्यक्रमों में शामिल होने को तैयार हुए। इस निमित्त विशेष पूजा,आरती और गीत-संगीत का भी आयोजन किया गया । सुरूचिपूर्ण भंडारे के साथ भक्तजनों ने अपने पूज्य गुरुवर के जन्मदिन को यादगार बनाया। 

जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार वितरित

प्रयाग महाकुंभ के दौरान वसंत पंचमी के दिन (15 फरवरी,2013 को) दारागंज स्थित हरित माधव मंदिर ,जो जगदगुरु रामानंदाचार्य की प्राकटय स्थली के नाम से विख्यात है,में विशेष सारस्वत समारोह का समायोजन किया गया। इस मौके पर वर्तमान जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज के पावन सानिध्य में श्रीमठ,पंचगंगा घाट,काशी की ओर से प्रतिवर्ष दिये जाने वाले एक लाख रुपये का जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार प्रदान किया गया। वर्ष 2013 का ये पुरस्कार हिन्दी,संस्कृत और अंग्रेजी साहित्य के उदभट विद्वान और काशी निवासी प्रोफेसर प्रभुनाथ द्विवेदी को सौंपा गया। इस मौके पर राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. महेश शर्मा सहित बड़ी संख्या में संत,श्रीमहंत,विद्नान और श्रद्धालु मौजूद थे।
  जगदगुरु रामानंदाचार्य पद प्रतिष्ठित स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज का जन्मदिन भी वसंत पंचमी के दिन ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया। भक्तों के विशेष आग्रह पर स्वामीजी जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित विविध कार्यक्रमों में शामिल होने को तैयार हुए। इस निमित्त विशेष पूजा,आरती और गीत-संगीत का भी आयोजन किया गया । सुरूचिपूर्ण भंडारे के साथ भक्तजनों ने अपने पूज्य गुरुवर के जन्मदिन को यादगार बनाया। 

Wednesday, February 6, 2013

Guru Vandana in Bhojpuri

गुरु चरण मिलेला बड़ी भाग से

गुरु चरण मिलेला बड़ी भाग से
जाहूं हम जनतीं गुरुजी हमार आएब रामा
चरण पखरतीं अपना हाथ से
गुरु चरण मिलेला बड़ी भाग से
जाहूं हम जनतीं गुरुजी हमार आएब रामा
आसन लगइतीं अपना हाथ से
गुरु चरण मिलेला बड़ी भाग से
जाहूं हम जनतीं गुरुजी हमार आएब रामा
भोगवा बनइतीं अपना हाथ से
गुरु चरण मिलेला बड़ी भाग से
जाहूं हम जनतीं गुरुजी हमार आएब रामा
पनियां छनइतीं अपना हाथ से
गुरु चरण मिलेला बड़ी भाग से
जाहूं हम जनतीं गुरुजी हमार आएब रामा
आरती उतरतीं अपना हाथ से
गुरु चरण मिलेला बड़ी भाग से।

Friday, February 1, 2013

जगदगुरु रामानंदाचार्य प्राकट्य धाम,प्रयाग

आदि जगदगुरु स्वामी रामानंदाचार्य भक्ति के ऐसे पहले आचार्य हुए जिनका जन्म उत्तर भारत में हुआ। इससे पहले के आचार्यो जैसे शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, मध्यवाचार्य का जन्म दक्षिण भारत में हुआ था। भक्ति आंदोलन के शीर्ष आचार्य का जन्म भी तीर्थराज प्रयाग में हुआ। जिस पावन स्थली पर स्वामी रामानंदाचार्य का जन्म हुआ, उसे वैरागी वैष्णव समाज स्वामी रामानंदाचार्य प्राकट्य धाम के नाम से जानता है। इलाहाबाद के संगम तट से महज एक किलोमीटर उत्तर दिशा में दारागंज स्टेशन है,वही मोरीगेट के समीप रेलवे पुल के नीचे है ये स्थान जिसे इलाके के लोग हरित माधव मंदिर के नाम से जानते हैं। यहीं वो स्थान है,जहां आज से सात सौ साल पहले स्वामी रामानंद ने एक ब्राह्मण कुल में जन्म लिया।सनातन धर्म में मान्यता है कि स्वामी रामानंद के रुप में स्वयं भगवान राम ने धरती पर अवतार लिया था। अगस्त संहिता में एक श्लोक से इसकी पुष्टि होती है -रामानंदः स्वयं रामः,प्रादुर्भूतो महीतले। बचपन से ही अत्यंत मेधावी और विल्क्षण प्रतिभा के धनी रामानंद को उनके माता-पिता ने शिक्षा ग्रहण करने के लिए काशी के पंचगंगा घाट स्थित श्रीमठ भेज दिया। वहीं स्वामी राधवानंद के सानिध्य में रहते हुए स्वामी रामानंद ने सभी शास्त्रों का अध्ययन किया और जगदगुरु रामानंदाचार्य के रुप में पूरी दुनिया में विख्यात हुए।