आदि जगदगुरु स्वामी रामानंदाचार्य भक्ति के ऐसे पहले आचार्य हुए जिनका जन्म उत्तर भारत में हुआ। इससे पहले के आचार्यो जैसे शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, मध्यवाचार्य का जन्म दक्षिण भारत में हुआ था। भक्ति आंदोलन के शीर्ष आचार्य का जन्म भी तीर्थराज प्रयाग में हुआ। जिस पावन स्थली पर स्वामी रामानंदाचार्य का जन्म हुआ, उसे वैरागी वैष्णव समाज स्वामी रामानंदाचार्य प्राकट्य धाम के नाम से जानता है। इलाहाबाद के संगम तट से महज एक किलोमीटर उत्तर दिशा में दारागंज स्टेशन है,वही मोरीगेट के समीप रेलवे पुल के नीचे है ये स्थान जिसे इलाके के लोग हरित माधव मंदिर के नाम से जानते हैं। यहीं वो स्थान है,जहां आज से सात सौ साल पहले स्वामी रामानंद ने एक ब्राह्मण कुल में जन्म लिया।सनातन धर्म में मान्यता है कि स्वामी रामानंद के रुप में स्वयं भगवान राम ने धरती पर अवतार लिया था। अगस्त संहिता में एक श्लोक से इसकी पुष्टि होती है -रामानंदः स्वयं रामः,प्रादुर्भूतो महीतले। बचपन से ही अत्यंत मेधावी और विल्क्षण प्रतिभा के धनी रामानंद को उनके माता-पिता ने शिक्षा ग्रहण करने के लिए काशी के पंचगंगा घाट स्थित श्रीमठ भेज दिया। वहीं स्वामी राधवानंद के सानिध्य में रहते हुए स्वामी रामानंद ने सभी शास्त्रों का अध्ययन किया और जगदगुरु रामानंदाचार्य के रुप में पूरी दुनिया में विख्यात हुए।
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