Wednesday, January 30, 2013

काशी का श्रीमठ

वाराणसी के पंचगंगा घाट पर स्थित श्रीमठ की ये तस्वीर है। इसे गंगा मइया की गोद से लिया गया है। यही वो श्रीमठ है,जो रामभक्ति परंपरा और रामानंद संप्रदाय का एकमात्र मूल आचार्यपीठ है। यही है स्वामी रामानंद की साधना और तपः स्थली, जो मध्यकालीन भारत के भक्ति आंदोलन के सर्वोच्च संत थे। उन्होंने नारा दिया था-जात-पात पूछे न कोई-हरि को भजे सो हरि का होई। अपने गुरु स्वामी राघवानंद के सानिध्य में इसी श्रीमठ में रहते हुए स्वामी रामानंद ने रामभक्ति की अविरल धारा प्रवाहित की। उनका पावन सानिध्य पाकर कबीर,रैदास जैसे लोग महान पुजनीय संत बन गये। स्वामी रामानंद जी सगुण और निर्गुण रामभक्ति धारा के संगम थे। उन्होंने दिगंबर,निर्वाणी, निर्मोही नामक तीन अखाड़े स्थापित किये,जिसके शौर्य और पराक्रम का विहंगम दर्शन आमजन कुंभ मेले के दौरान करते हैं। मध्यकाल में इन्हीं वैष्णव अखाड़ों ने मुगलों के आक्रमण से देश की रक्षा की और करोड़ों हिन्दुओं को इस्लाम में परावर्तित होने से रोका।स्वामी रामानंद द्वारा प्रतिपादित संप्रदाय आज रामानंद सम्प्रदाय, रामावत या वैरागी वैष्णव सम्प्रदाय कहलाता है, जो प्रकारांतर से श्रीसम्प्रदाय का ही हिस्सा हैं। देश में सबसे ज्यादा साधु-संत और मठ-मंदिर इसी संप्रदाय के हैं। जहां सीताराम मुख्य उपास्य देव हैं औऱ हनुमान जी आराध्य।

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