पतित पावनी गंगा के तट पर देवभूमि हरिद्वार में इस वर्ष श्रीमठ, काशी के वर्तमान आचार्य एवम् जगदगुरु रामानंदाचार्य पद प्रतिष्ठित स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज का 'दिव्य चातुर्मास महोत्सव' श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। भूपतवाला स्थित निर्माणाधीन अद्वितीय श्रीराम मंदिर परिसर चातुर्मास महोत्सव की विविध प्रवृत्तियों का समायोजन किया जा रहा है। नित्य कार्यक्रमों के साथ ही सावन मास की प्रत्येक सोमवारी को भगवान भोलेनाथ का महाभिषेक पूर्ण-विधि विधान से संपन्न हो रहा है। जगदगुरु स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज ने चातुर्मास के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे आत्मशुद्धि का पर्व बताया।
उन्होंने कहा कि चातुर्मास में संत-महात्माओं को आत्मचिंतन का अवसर प्राप्त होता है। इसमें हमें सनातन धर्म की रक्षा को लेकर चिंतन करने के साथ व्यक्तिगत खामियों को दूर करने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि संत का उद्देश्य सनातन धर्म एवं मानव कल्याण को गति देना है।
वैसे गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर ही देश भर से आए भक्तों की उपस्थिति में गुरु पूजन के साथ महोत्सव का आरंभ हो गया।
उन्होंने कहा कि चातुर्मास में संत-महात्माओं को आत्मचिंतन का अवसर प्राप्त होता है। इसमें हमें सनातन धर्म की रक्षा को लेकर चिंतन करने के साथ व्यक्तिगत खामियों को दूर करने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि संत का उद्देश्य सनातन धर्म एवं मानव कल्याण को गति देना है।
वैसे गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर ही देश भर से आए भक्तों की उपस्थिति में गुरु पूजन के साथ महोत्सव का आरंभ हो गया।
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