भोजपुर जिले के सिकरहटा थाना के नोनाडीह मोड़ पर बने हनुमानजी के भव्य मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा आज दिनांक 14 जुलाई दिन रविवार को पूर्ण विदि-विधान और वैदिक रीति से संपन्न हुआ। वैरागी वैष्णव संप्रदाय (रामावत या श्रीसंप्रदाय) के प्रधान आचार्य और श्रीमठ,काशी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज के कर कमलों द्वारा मंदिर के श्रीविग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई। इस मौके पर दक्षिणी भोजपुर के पचासो गांवों से आए श्रद्धालु हजारों की संख्या में मौजूद थे।
स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि सनातन धर्म के देवताओं में हनुमान जी का स्थान अद्वितीय है। उन्हें प्रजा पालक प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त होने के चलते भक्त शिरोमणि का दर्जा हासिल हैं। वे भगवान के वरदान स्वरुप आज भी धरा धाम पर विराज रहे हैं और अपने भक्तों से निर्भयता का वरदान देते हैं।
चार दिनों तक चले प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान रामभक्ति परंपरा से जुड़े बड़ी संख्या में संतो-महंतों के दर्शन एवम पूजन का लाभ स्थानीय श्रद्धालुओं का प्राप्त हुआ। ये पहला मौका था जब दो दशक तक उग्रवाद और हिंसा से संतप्त रहे दक्षिण भोजपुर के इस अति पिछड़े इलाके में जगदगुरु जैसे धर्माचार्य का पदार्पण हुआ था।
प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव को गरिमा प्रदान करने में रामानंदाचार्य आध्यात्मिक मंडल के सदस्यों ने भी पूरी ताकत लगा दी थी। महाराजश्री को विदा देने के भक्त श्रद्धालुओं की आँखे नम हो गयी थी।
महाराजश्री सुबह 10 बजे सड़क मार्ग से पटना के लिए रवाना हो गये। आज ही उन्हें वायुमार्ग से पटना से भाया दिल्ली सूरत पहुंचना है, जहां अगले कुछ दिनों तक वे विविध धार्मिक आयोजनों में शामिल होंगे।
स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि सनातन धर्म के देवताओं में हनुमान जी का स्थान अद्वितीय है। उन्हें प्रजा पालक प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त होने के चलते भक्त शिरोमणि का दर्जा हासिल हैं। वे भगवान के वरदान स्वरुप आज भी धरा धाम पर विराज रहे हैं और अपने भक्तों से निर्भयता का वरदान देते हैं।
चार दिनों तक चले प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान रामभक्ति परंपरा से जुड़े बड़ी संख्या में संतो-महंतों के दर्शन एवम पूजन का लाभ स्थानीय श्रद्धालुओं का प्राप्त हुआ। ये पहला मौका था जब दो दशक तक उग्रवाद और हिंसा से संतप्त रहे दक्षिण भोजपुर के इस अति पिछड़े इलाके में जगदगुरु जैसे धर्माचार्य का पदार्पण हुआ था।
प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव को गरिमा प्रदान करने में रामानंदाचार्य आध्यात्मिक मंडल के सदस्यों ने भी पूरी ताकत लगा दी थी। महाराजश्री को विदा देने के भक्त श्रद्धालुओं की आँखे नम हो गयी थी।
महाराजश्री सुबह 10 बजे सड़क मार्ग से पटना के लिए रवाना हो गये। आज ही उन्हें वायुमार्ग से पटना से भाया दिल्ली सूरत पहुंचना है, जहां अगले कुछ दिनों तक वे विविध धार्मिक आयोजनों में शामिल होंगे।
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