Tuesday, February 2, 2021

आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड को 2021 का जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार- स्वामी रामनरेशाचार्य

 

 

रामानंदाचार्य की 723 वीं जयंती का अनुष्ठान काशी और प्रयागराज में

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देव कुमार पुखराज

 मध्यकालीन भक्ति आंदोलन के शीर्ष संत स्वामी रामानंद की स्मृति में दिया जाने वाला एक लाख रुपये का जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार  इस बार काशी के प्रसिद्ध विद्वान आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ को दिया जाएगा. स्वामी रामानंदाचार्य जी के प्राकट्य धाम (जन्मस्थली) प्रयागराज के दारागंज में 5 फरवरी को पुरस्कार वितरण समारोह होगा. पुरस्कार स्वरुप एक लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र, शॉल और श्रीफल देकर द्राविड जी का सम्मान किया जाएगा. रामानंद संप्रदाय के प्रधान आचार्य जगदगुरु रामानंदाचार्य पद प्रतिष्ठित स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज ने यह जानकारी दी.

 

संस्कृत और संस्कृति के लिए सम्मान-

 

       काशी के पंचगंगा घाट स्थित श्रीमठ के पीठाधीश्वर और रामानंदी वैष्णवों के प्रधान आचार्य जगदगुरु स्वामी रामनरेशाचार्य के अनुसार हर वर्ष स्वामी रामानंदाच्रार्य जी की जयंती प्रसंग पर किसी विशिष्ट विद्वान को एक लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान किया जाता है. संस्कृत और संस्कृति के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए काशी से दिया जाने वाला यह सबसे बड़ा पुरस्कार है. उन्होंने बताया कि 1993 से लगातार यह पुरस्कार वितरित हो रहा है. इस वर्ष का पुरस्कार काशी ही नहीं अपितु राष्ट्र की वैदिक सनातन धर्म की विद्या, संयम, त्याग, निष्ठा और सदाचार की अप्रतिमविमूर्ति आचार्य गणेशश्वर शास्त्री द्राविड को प्रदान किया जाएगा.

 

कौन हैं आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड-

 

काशी के रामनगर में 9 दिसम्बर, 1958 को जन्में गणेश्वर शास्त्री द्राविड रामघाट स्थित सांग्वेद विद्यालय के संचालक हैं. इनके पिता राजराजेश्वर शास्त्री द्राविड को पण्डितराज कहा जाता था और भारत सरकार ने उन्हें पदमभूषण से सम्मानित किया था. गणेश्वर शास्त्री को वेद, कृष्णयजुर्वेद, तैत्तिरीय शाखा, शुक्लयजुर्वेद-शतपथ ब्राह्मण, वेदांग, न्यायादिदर्शन, पुराण, इतिहास, राज-शास्त्र, धर्म-शास्त्र काव्य-कोष, ज्योतिष, तंत्रागम एवं श्रौत का आधिकारिक विद्वान माना जाता है. हाल में अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिलान्यास की लिए मुहुर्त निकालने का श्रेय भी गणेश्वर शास्त्री द्राविड के खाते में है. स्वामी रामनरेशाचार्य कहते हैं- गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ का सम्मान भारत की सनातन वैदिक परंपरा का सम्मान है. उन्होंने वेदों के अध्ययन-अध्यापन और यज्ञों के संपादन में ही अपना पूरा जीवन लगा दिया. निजी घर-गृहस्थी नहीं बसाई. नंगे पांव रहकर यम-नियम का संपादन करते हुए ऋर्षि तुल्य जीवन जीते रहे. वस्त्र के नाम पर केवल एक धोती पहनते हैं.

 

रामानंदाचार्य पुरस्कार का इतिहास-

 

श्रीमठ की ओर से दिया जाने वाला जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार सबसे पहले प्रोफेसर भगवती प्रसाद सिंह को पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के कर कमलों से प्रदान किया गया. तब इसकी राशि दस हजार रुपये थी, जिसे बढ़ाकर एक लाख रुपया कर दिया गया. 1993 में महामंडलेश्वर काशिकानंद महाराज को काशीराज महाराजा विभूतिनारायण सिंह की अध्यक्षता में पहला पुरस्कार प्रदान किया गया. फिर काशीनरेश श्रीविभूतिनारायण सिंह के हाथों  ही पण्डितराज राजराजेश्वर शास्त्री द्राविड को मरणोपरांत इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह महज संयोग नहीं है कि उनके ही पुत्र आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड को 2021 में यह पुरस्कार दिया जा रहा है. अबतक डॉ. कर्ण सिंह, आचार्य डॉ. रामकरण शर्मा, डॉ. विवेकी राय, डॉ. कमलेश दत्त त्रिपाठी, श्रीहनुमान प्रसाद शर्मा उर्फ मनु शर्मा, प्रो. कृष्णदत्त पालीवाल, आचार्य रामयत्न शुक्ल, प्रो. प्रभुनाथ द्विवेदी, डॉ. उदय प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय, प्रो. रमाकांत आंगिरस, प्रो. युगेश्वर, डॉ. कृष्णकांत चतुर्वेदी आदि को यह पुरस्कार मिल चुका है.

 

रामानंदाचार्य जयंती 4-5 फरवरी को

 

       जगदगुरु स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी ने बताया कि रामावतार श्रीसंप्रदायाचार्य रामानंदाचार्य जी का 723 वां जयंती महोत्सव इस बार भी उनके मूलपीठ श्रीमठ की ओर से दो दिवसीय अनुष्ठान के तौर पर 4 और 5 फरवरी को समायोजित है. इस बार यह आयोजन उनकी साधना पीठ श्रीमठ, पंचगंगा घाट, काशी के अलावे उनके प्राकट्य धाम, दारागंज, प्रयागराज में भी धूमधाम से किया जा रहा है. पहले दिन यानि चार फरवरी को श्रीमठ में सुबह 9 से 11 बजे तक स्वामी रामानंद जी का पूर्ण वैदिक गरिमा एवं समृद्धि से पूजन होगा. 11 बजे से दोपहर 01 बजे तक संतों, महंतों एवम भक्त विद्वानों के द्वारा आचार्य गुणगान होगा. दोपहर से शाम तक संत, महंत, भक्त और अभ्यागतों का वैष्णवाराधन यानि भंडारा चलेगा.  

 

स्वामी रामानंद की जन्मभूमि पर समारोह-

 

दूसरे दिन यानि 5 फरवरी को प्रयागराज के मोरी दारागंज स्थित जगदगुरु रामानंदाचार्य प्राकट्यधाम में दिनभर उत्सव होंगे. सुबह 10 बजे से 12 बजे तक जगदम्बा सुशीला देवी की गोद में विराजमान आचार्यश्री का पूजन होगा. दोपहर में समष्टि भंडारे का कार्यक्रम है. शाम 3 बजे से 6 बजे तक आचार्यश्री पर केन्द्रित विद्वत संगोष्ठी होगी और उसी शाम 6 बजे से जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार समर्पण का कार्यक्रम होगा

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