Thursday, February 25, 2021

सौ साल का हुआ काशी का प्रतिष्ठित सांगवेद विद्यालय, 101वें वर्ष में प्रवेश पर वर्धापनोत्सव सभा आयोजित

 

Swami Ramnareshacharya in Sangved Vidyalaya



वाराणसी, 26 फरवरी। रामघाट स्थित श्रीवल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय के 101वें वर्षप्रवेश के मंगल अवसर पर गुरुवार को पूर्वाह्न में भव्य समारोह हुआ। आरंभ सरस्वती पूजन से हुआ। अपराह्न में जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज (श्रीमठ, पंचगंगा घाट,काशी) के सान्निध्य में वर्धापनोत्सव की सभा सम्पन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति पंडित राजाराम शुक्ल जी ने की। वाराणसी के जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा मुख्यातिथि के तौर पर मौजूद रहे।

अपने आशीर्वचन में जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी ने कहा कि सांगवेद विद्यालय का वेदों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान है। जिस प्रकार वेद सदा रहेंगे उसी प्रकार सांगवेद विद्यालय भी सदा रहेगा और संस्कृत-संस्कृति की सेवा करता रहेगा। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति पण्डित राजाराम शुक्ल ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि कम साधन में कार्य कैसे करना और विपरीत परिस्थितियों में भी वातावरण को अनुकूल कैसे बनाना यह हमने सांगवेद विद्यालय से सीखा। तदनुसार ही हम कार्य कर रहे हैं।

मुख्य अतिथि के रुप में पधारे वाराणसी के जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने कहा कि सांगवेद विद्यालय आदर्श विद्यालय है। इसकी सुरक्षा एवं संवर्धन में सहयोग देना सभी का कर्तव्य है।

समारोह के दौरान जगदगुरु रामानंदाचार्य जी, कुलपति और जिलाधिकारी का महावस्त्र, अभिनंदनपत्र, पुष्पमाला एवं श्रीफल देकर सम्मान किया गया। समस्त विद्वानों की ओर से कविवर पं. जगन्नाथ शास्त्री तैलंग जी ने विद्यालय के दीर्घायुष्य की कामना की। सांगवेद के अध्यापकगण, विद्वानों एवं कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया। विद्यालय के अध्यक्ष पं. विश्वेश्वर शास्त्री द्राविडजी ने विद्यालय स्थापना का इतिहास बताया और विद्या सदाचार की रक्षा में सांगवेद विद्यालय के योगदान का उल्लेख किया। प्रारंभ में जगदगुरु कांचीशंकराचार्य जी, सुरेन्द्रलाल मेहता, शंकरलाल मेहता, केशवलाल मेहता, श्रीराम लोकरे एवं बबन लक्ष्मण मरके आदि के शुभकामना संदेश पढ़े गये। कार्यक्रम का संचालन पण्डित गणेश्वर शास्त्रीद्रवाडि जी ने किया। विद्वत्पूजन एवं प्रसाद वितरण के साथ सभा पूर्ण हुई।

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