Monday, September 12, 2016

भगवत्प्रसाद का सेवन परम पुरुषार्थ यानि मोक्ष का साधन है- स्वामी रामनरेशाचार्य




पटना में समष्टि भंडारे का शुभारंभ करते स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज

पटना में चल रहे जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज, श्रीमठ,काशी के दिव्य चातुर्मास्य महोत्सव के दौरान बिस्कोमान भवन के सामने रविवार-11 सितंबर,2016 को विशाल सामूहिक भंडारे का आयोजन सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक किया गया। खास बात ये रही कि स्वामीजी ने अपने हाथों प्रसाद वितरित कर इसका शुभारंभ किया और दिन भर साधु-संतों के हाथों से आम जन ने प्रसाद पाया। इसके पहले भगवान का 56 प्रकार के व्यंजनों से भोग लगा, जो प्रसाद रुप में वितरित हुआ।

भक्तों और अभ्यागतों के बीच भंडारे का प्रसाद परोसते संत गण
भंडारे का महात्म्य-

वैदिक सनातन धर्म में भोजन केवल भूख मिटानेका ही साधन नहीं, अपितु वह परम कल्याणकामी विशिष्ट साधन है। उसकी प्रक्रिया यह है कि सात्विक पदार्थों को परम प्रभु के लिये ही पकाया जाय तथा उन्हें ही सबसे पहले श्रेष्ठ प्रेम एवं संयतमना होकर समर्पित किया जाय, तदन्तर उसका प्रसाद भगवान्‌ के रूप में ही ग्रहण किया जाय। यह भी एक आराधना ही है। जैसे संसारी-जन जिस किसी भी प्रकार से धन का संग्रह कर धनवान होना चाहते हैं, वैसे ही कल्याणकामी भी हर-किसी प्रकारसे परम प्रभु को अपने भीतर (अपने मनमें) ले जाना चाहता है।

 भगवदर्पण तथा उसका सेवन उसी प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। तभी तो गीता में कहा गया है कि जो लोग अपने लिये भोजन पकाते हैं, वे तो पाप को ही पकाते हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर उपासना-स्वरूप यज्ञादि को छोड़ने के लिये शास्त्रों ने मना किया। यज्ञादि के सम्पादन से उनका प्रसाद प्राप्त होगा तथा उनके माध्यम से बना हुआ मन ही वस्तुतः ज्ञान एवं भक्ति का श्रेष्ट उत्पादक होगा, जिसके माध्यम से व्यष्टि एवं समष्टि में राम-राज्य अवतरित होगा। जैसा-तैसा अन्न, वैसा ही पाक तथा वैसा ही भोजन एवं उससे बना मन तो कभी भी सही ज्ञान एवं भक्ति को प्राप्त नहीं करते हैं। अतएव राक्षसी जीवन को ही देते हैं।
प्रभुराम को 56 भोग

इसी को ध्यान में रखकर दिव्य चातुर्मास्य महायज्ञ के समापन की पूर्व संध्या पर रविवार, 11 सितंबर,2016 को प्रातः 10 बजे से रात्रि 10 बजे तक पटना गांधी मैदान से सटे बिस्कोमान भवन के सामने "परम मंगलमय छप्पन भोगात्मक समष्टि भण्डारा का (वैष्णवाराधन)" समायोजन किया गया। महाराज श्री ने एक दिन पहले ही भक्तों और आमजनों का आह्वान किया कि  आप सब सादर सप्रेम आमंत्रित हैं। पधारिये, प्रसाद ग्रहण कीजिये तथा सर्वश्रेष्ठ मानव जीवनको परम धन्यतासे मण्डित कीजिये। स्वामी श्री रामनरेशाचार्यजी महाराज ने मोक्षकामियोंको सम्बोधित करते हुए लाला लाजपत राय स्मारक सभागारमें ये बातें कही। 


इस महायज्ञके समायोजक दिव्य चातुर्मास्य महायज्ञ समिति बिहार है।

भंडारे के  मुख्य सेवाव्रती निम्नांकित मंगलमयी सेवैकनिष्ठ महानुभाव रहे-
१. श्री आर. के. सिन्हा, सदस्य राज्य सभा,  श्री विष्णु बिंदल- स्वस्तिक कोल कॉरपोरेशन, इन्दौर (मध्य प्रदेश), श्रीआर. पी. सिंह, कमलादित्य कन्स्ट्रक्शन, बोकारो। श्री सत्येन्द्र पाण्डेय एवं गीता पाण्डेय, पीएनबी,  आरा,  श्री सुरेन्द्र सिंह, पूर्व शिक्षक, फुलाड़ी (भोजपुर) , श्री वीरेन्द्र कुमार ’मुन्ना’ करवाँ, आरा।  श्री ब्रजेश सहाय, सामाजिक कार्यकर्त्ता, बक्सर।  श्री विनोद कुमार मंगलम्, पटना;  श्री नृपेन्द्र कुमार- पीएनबी, पटना, श्री आनन्द कौशिक- पीएनबी, पटना। श्री दयाशंकर उपाध्याय- पीएनबी, आरा। श्री प्रशान्त तिवारी, पी. एन. बी. आरा; अवध किशोर शर्मा, खजरेठा, खगरिया; श्रीमती अंजलि कुमारी, समाजसेविका, पटना, कुन्दन कुमार , पीएनबी,  सासाराम एवं श्री लक्ष्मण तिवारी- बरिसवन ,आरा।

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