वाराणसी : भक्ति की भावना भारतीय समाज की सहज अभिव्यक्ति है। प्रेम,
करुणा, सहनशीलता और समानता उसके तत्व हैं। इसलिए ‘आंदोलन’ और ‘प्रस्थान’
दोनों समय-समय पर उपयुक्त हुए हैं। यह बातें शुक्रवार को श्रीमठ में प्रो.
कमलेश दत्त त्रिपाठी ने कहीं। वे भक्ति आंदोलन और भारतीय समाज विषयक
संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आंदोलन और प्रस्थान शब्द
में शास्त्रीयता और सामाजिक राजनीतिक ध्वनि का स्वर सुनाई देता है। इस अवसर
पर साहित्यकार एवं पत्रकार आनंद शर्मा को जगतगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार
के रूप में एक लाख रुपये नकद दिए जाने की घोषणा की गई। खराब स्वास्थ की वजह
से वह नहीं आ सके।श्रीमठ पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी ने कहा कि भक्ति सनातन है। आंदोलन
परिधिबद्ध। सनातन शक्ति का मांगलिक चरण है। स्वामी रामानंद इसके पुरोधा थे।
अशोक सिंह, प्रो. देवव्रत चौबे, बाबूराम त्रिपाठी, शिवशंकर मिश्र आदि ने
विचार व्यक्त किया। संचालन डा. उदय प्रताप सिंह ने किया।
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