श्रीमठ संगीत महोत्सव के दूसरे दिन बही संगीत सरिता
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श्रीमठ संगीत महोत्सव-2916 |
कार्यक्रम की द्वितीय प्रस्तुति में देवास म.प्र से पधारी कुमार गंधर्व की सुपुत्री सुश्री कलापिनी कोमकली ने राग "नंद " से शुरुआत कर एक ताल में विलम्बित ख्याल में "गोविन्द वीन बजाईं" , मध्य लय की रचना "अजहूंन न आये" , श्याम द्रुत में "राजन अब तो आजा" इसके बाद राग धन बसन्ती में "दीप की ज्योति जरे" प्रस्तुत की , राग सोहनी में "रंग न डारो श्याम जी" से अपनी प्रस्तुति का समापन कबीर से किया।
इनके साथ तबले पर विनोद मिश्र और हारमोनियम पर अशोक झा ने संगत की।इसके बाद कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति में अहमदाबाद से पधारी विदुषी मंजू मेहता ने अपने सितार की शुरुआत भारत रत्न पं रविशंकर की रचित राग चारुकॉन्स में अलाप, जोड़ , झाला से की। तत्पश्चात विलम्बित गत रूपक में एवम द्रुत में एक ताल और तीन ताल में प्रस्तुति दी। अपने कार्यक्रम का समापन उन्होंने राग पीलू से किया
तबले पर संगत पं.पुरण महाराज ने की। पूरण महाराज वाराणसी घराने के सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ हैं ।
कार्यक्रम में स्वर सारस्वत साधना में तल्लीन सुप्रसिद्ध कलाकारों का सम्मान प्रो. प्रेमनारायण सिंह, वाराणसी, अभिनंदन चौधरी, बिहार , अम्बरीश राय आदि ने किया ।
श्रीमठ काशी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य के सान्निध्य में आयोजित समस्त कार्यक्रमों का सफल संचालन संयोजक श्री अमूल्य शर्मा जी ने किया ।
कार्यक्रम में वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्रीप्रकाश चंद्र श्रीवास्तव , श्रीमती सुचित्रा गुप्ता जी , श्री शांति रमण जी सपत्नीक, अशोक गुप्ता,विनय जैन , श्याम कृष्ण अग्रवाल,अरुण शर्मा, रमण शंकर पंड्या (रम्मू भैया ) ,पं. कामेश्वरनाथ मिश्र , मुकुंद लाल सैलट, अमित श्रीवास्तव आदि शहर के गणमान्य महानुभावों की उपस्थिति रही ।
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