Vishwanath Das Shastri |
बीजेपी के पूर्व सांसद और अयोध्या स्थित दर्शन भवन मंदिर (स्वामी रामानंद मंदिर) के श्री महंत विश्वनाथ दास शास्त्री का कल लम्बी बीमारी के बाद दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। श्री शास्त्री को लीवर और हृदय की बीमारी थी, उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली से विमान द्वारा अयोध्या लाने की तैयारी की जा रही है। आज ही उनका अंतिम संस्कार सरयू तट पर होगा।
सन 1950 में बिहार के सीतामढ़ी जिले में जन्में शास्त्रीजी बचपन से ही आरएसएस से जुड़े रहे और अविवाहित रहे। काशी के संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से संस्कृत साहित्य में एमए करने के बाद पूरा जीवन ही संघ और धर्म को समर्पित कर दिया। संघ के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए वनवासी सेवा केन्द्र के जरिये भी उन्होंने देश की खूब सेवा की। प्रखर ओजस्वी भाषण उनकी पहचान थी।
अयोध्या से सटे सुल्तानपुर से 1991 में वे बीजेपी की टिकट पर दसवीं लोकसभा के लिए चुने गये। बावजूद इसके उनके सादगी, ईमानदारी देखने लायक थी। पूर्व एमपी के रुप में मिलने वाली अधिकांश सुविधाओं का भी उन्होंने त्याग कर रखा था। जब बीमार पड़े तभी जाकर फिर से मेडिकल सटिफिकेट बनवाया, ताकि एम्स में इलाज हो सके।
अभी पिछले दिनों संभवतः 4 जून,2015 को अयोध्या प्रवास के दौरान उनके दर्शन और
सत्संग का लाभ मिला था। शरीर कमजोर था फिर भी आभामंडल देखने लायक थी। उनके
साथ बैठकर बातचीत करने और उस दौर की राजनीति को समझने का वो अंतिम मौका
मिला था। उनके रहन-सहन को देखकर ऐसा लगा था कि कैसे लोग थे वे। सांसद रहे फिर भी हाथ हमेशा तंग रहा। कोई दिखावा और आडम्बर नहीं। बेहद सामान्य जीवन जीते हुए हरिनाम जपते हुए वे चले गय़े। जब तक शरीर साथ दिया खूब काम किया। देश सेवा और धर्म की सेवा में ही जीवन लगा दिया। लेकिन अपने लिए कुछ नहीं रखा।
हमारे अग्रज रामगोपाल चौधरी तो बेहद भावुक से हो गये थे। उनको आराम मिले इसलिए कमरे में एसी लगवाने का उसी दिन ऑडर दिया फिर आश्रम में एक वातानुकूलित कमरा बनवाने के लिए भी एक लाख रुपया दिया। तय हुआ था कि नई सीता रसोई जब बनकर तैयार हो तो उसका भव्य उदघाटन कराया जाए। लेकिन नीयती को तो शायद कुछ और ही मंजूर था। चौधरी भैया उनको स्वास्थ्य लाभ के लिए हैदराबाद भी लाना चाहते थे। उन्होंने हामी भी भर दी थी। लेकिन लगता है भगवान अपने बैकुंठ धाम में उनका इंतजार कर रहे थे।
हमारे अग्रज रामगोपाल चौधरी तो बेहद भावुक से हो गये थे। उनको आराम मिले इसलिए कमरे में एसी लगवाने का उसी दिन ऑडर दिया फिर आश्रम में एक वातानुकूलित कमरा बनवाने के लिए भी एक लाख रुपया दिया। तय हुआ था कि नई सीता रसोई जब बनकर तैयार हो तो उसका भव्य उदघाटन कराया जाए। लेकिन नीयती को तो शायद कुछ और ही मंजूर था। चौधरी भैया उनको स्वास्थ्य लाभ के लिए हैदराबाद भी लाना चाहते थे। उन्होंने हामी भी भर दी थी। लेकिन लगता है भगवान अपने बैकुंठ धाम में उनका इंतजार कर रहे थे।
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