प्रो.पूर्णमासी राय को रामानंदाचार्य पुरस्कार |
श्रीमठ,काशी के तत्वावधान में त्रिदिवसीय ज.गु.रामानन्दाचार्य जयंती महोत्सव के प्रथम दिवस के समारोह में आज भक्ति साहित्य मर्मज्ञ साहित्यकार 90 वर्षीय प्रो.पूर्णमासी राय को अभिनंदन एवं एक लाख रूपये की सम्मानराशि के साथ सत्ताइसवां ज.गु.रामानंदाचार्य पुरस्कार प्रदान किया गया। संत एवं विद्वतजनों द्वारा अभिनंदनोपरांत ज. गु.रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य ने उन्हें पुरस्कार प्रदान किया।
मगध वि.वि. के पूर्व आचार्य प्रो. राय मूलत: चन्दौली जनपद पिपरी के निवासी जहां सतत साहित्य साधना से जुड़े रहे हैं,वहीं संस्कृत,हिंदी,अंग्रेजी, बंगला एवं गुजराती के भी जानकार हैं।उनकी दशाधिक प्रशस्त साहित्यिक रचनायें हैं।इस अवसर पर दो ग्रंथों 'हिंदी गद्य साहित्य में बौद्ध संस्कृति' (अवंतिका सिंह रचित) तथा 'पुराण पुरुष गंगासागर राय स्मृति ग्रंथ' (डा.महेन्द्र नाथ राय संपादित) का लोकार्पण भी संपन्न हुआ।
उक्त अवसर पर 'रामभक्ति परंपरा और स्वामी ज.गु.रामानंदाचार्य" विषय पर संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए स्वामी रामनरेशाचार्य जी ने कहाकि स्वामी रामानंद जी ने रामभक्ति को राष्ट्र के लोकजीवन में प्रवर्तित किया और जन जन की लोकचेतना से उसे जोड़कर राष्ट्र और समाज को एकता, बन्धुत्व और लोककल्याण भावना के सूत्र में पिरोया।
संगोष्ठी को सम्बोधित करने वालों और अभिनंदन में शामिल थे सर्वश्री प्रो.रामचन्द्र पांडेय,प्रो.महेन्द्रनाथ राय, प्रो.प्रभुनाथ द्विवेदी,प्रो.सतीश राय,प्रो.
चन्द्रमा पांडेय,डा.हरेन्द्र राय,ब्रह्मानंद शुक्ल,अरुण शर्मा,अमिताभ भट्टाचार्य,
प्रो.दिनेश चन्द्र राय,अमूल्य शर्मा,डा. टी.बी.सिंह,ए.के.राय आदि।स्वस्ति वाचन पं.वल्लभ पाठक,पं.उपेन्द्र मिश्र आदि ने किया। स्वागत डा.उदय प्रताप सिंह ने और संचालन प्रो.अवधेश प्रधान ने किया।
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