Wednesday, November 9, 2016

डुमरी स्थित श्रीमठ की "रामानन्द वाटिका" में आंवला पूजनोत्सव

आंवला पूजन करते Swami Ramnareshacharya

काशी, भारतीय संस्कृति की संवाहिका है और  पंचगंगा घाट स्थित श्रीमठ, उसे दिव्यता प्रदान करने का पवित्र स्थल है । पवित्र कार्तिक मास इन दोनों को प्रकाशित कर देता है । इसे माधव मास भी कहते हैं । माधव साक्षात विष्णु ही हैं। अतः पंचगंगा के माहात्म्य को परखकर रामावतार स्वामी रामानन्दाचार्य ने इसी पंचगंगा तट पर विष्णु स्वरुप श्रीराम की आराधना की थी । अतः यहां कार्तिक में स्नान, दान और पूजा, आराधना करना विशेष फल का प्रदाता होता है।
Swami Ramnareshacharya

अक्षय नवमी पर आँवला के वृक्ष के पूजन की सदियों पुरानी परंपरा है। इस दिन आंवला पूजन इसलिए भी महत्त्वपूर्ण होता है कि इस दिन सभी देवी- देवता तीर्थ सद्प्रवत्तियाँ आँवला में ही निहित हो जाती हैं । कार्तिक मास के दौरान ऐसी अनेक धार्मिक प्रवृतियों का समायोजन गंगा तट पर पंचगंगा घाट पर सम्पन्न होते हैं।

श्रीसम्प्रदाय और श्रीमठ के वर्तमानाचार्य जगदगुरु रामानन्दचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज ने गंगा पार डुमरी में स्थित रामानंद वाटिका के आंवला के बाग में पूर्ण वैदिक रीति से पूजन किया। वेद मंत्रों से आचार्य श्रीवल्लभ पाठक जी नेतृत्व में ये सारे कार्य सम्पन्न हुए। देश- विदेश से आये भक्तों ने मठ की गोशाला में पूजन किया ।

पूजनोपरांत आचार्यश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि आज का दिन महत्त्वपूर्ण एवं अक्षय पुण्य देने वाला है। सभी अलौकिक शक्तियां आज आंवला में ही समाहित होती हैं।  यह अमृत फल है जो कई पुण्यों का प्रदाता है। पर्यावरण की आधुनिक चेतना का सजग प्रहरी है। अतः ज्ञान के साथ आँवला  विज्ञान का भी सूचक है । इससे शुद्ध पर्यावरण की चेतना भी प्राप्त होती है।



अन्ततः महा आरती, विशाल भंडारा एवं संगीत का आयोजन भी हुआ । संगीत में श्री अशोक झा गायन पर रहे थे। तबले पर सागर गुजराती ने संगत किया। मिथिला से आये संगीतज्ञों ने  भी साथ दिया। आयोजन में  डुमरी ग्राम निवासी हजारों भक्तो ने प्रसाद ग्रहण किया। पूरा आयोजन रामानन्द आध्यत्मिक मंडल, पंजाब की  ओर से किया गया था।

कार्यक्रम में  विभिन्न प्रान्तों से पधारे हुये भक्तों की गरिमामयी उपस्थिति रही। वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रकाशचंद्र श्रीवास्तव जी सपत्नीक पधारे। जोधपुर से हनुमान जी , इंदौर  से श्रीमती प्रेमलता जादोन,  वाराणसी के  अमूल्य शर्मा, अरुण शर्मा, रमेश अग्रवाल ,डॉ. राजेश्वराचार्य , हीरालाल अग्रवाल, डॉ.उदयप्रताप सिंह , मुकुंद लाल सेलट, अशोक कुमार,  श्रीरामजी सिंह रघुवंशी- इंदौर  आदि भक्तजन  उपस्थित रहे



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