Thursday, July 30, 2015

जोधपुर में दिव्य चातुर्मास महोत्सव शुरू



  सगुण-निर्गुण रामभक्ति परंपरा और रामानंद संप्रदाय के मूल आचार्यपीठ, श्रीमठ, पंचगंगा घाट, काशी के वर्तमान आचार्य जगदगुरु रामानन्दाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज का चातुर्मास 30 जुलाई, 2015 से जोधपुर में प्रारम्भ हो गया। गुरुवार को भव्य शोभायात्रा के साथ महाराज श्री को जूनाखेड़ापति मंदिर तक लाया गया, जहां अगले दो माह तक वे विराजेंगे।

आज गुरु पूर्णिमा पर्व के साथ ही दिव्य चातुर्मास महोत्सव का विधिवत आरंभ हो गया।  

SWAMI RAMNARESHACHARYA
जोधपुर के प्रसिद्ध जूनाखेड़ापति मंदिर परिसर में महाराजश्री के चातुर्मास अनुष्ठान के दौरान राम भावानुकूल अनेक धार्मिक प्रवृतियों का समायोजन होगा। बीच-बीच में बड़े धार्मिक उत्सव भी होंगे। सावन महीने में प्रत्येक सोमवार को भगवान शंकर का भव्य अभिषेक होगा। सुबह से शाम तक विविध मांगलिक कार्यक्रम होंगे, जिसमें हवन, पूजन, सहस्त्राचन, देव-पितृ तर्पण यज्ञ, स्वाध्याय औऱ संध्या समय भजन-प्रवचन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। बीच में पड़ने वाले सारे पर्व-त्यौहार भी उत्सव नुमा माहौल में मनाए जाएंगे।कार्यक्रम स्थल पर ही नियमित रुप से भजन और भंडारे का प्रबंध किया गया है।  देश भर से अनेक संत और विद्वान के साथ बड़ी संख्या में भक्तगण भी चातुर्मास के दौरान जोधपुर पधारेंगे। इनके ठहरने का भी प्रबंध चातुर्मास समिति ने किया है।

उल्लेखनीय है कि महाराजश्री ने वर्ष १९९४ में भी जोधपुर में चातुर्मास व्रत किया था। पूरे २० साल बाद जोधपुर में फिर से चातुर्मास समायोजित हुआ है।   एक खास बात यह है कि पिछले चातुर्मास में भी आयोजन समिति के अध्यक्ष सेनाचार्य स्वामी अचलानन्द जी गिरि थे और इस बार भी उन्हीं की अध्यक्षता में कार्यक्रम शुरू हुआ है। 

स्वामी रामनरेशाचार्य
जूनाखेड़ापति मंदिर परिसर में नियमित पूजन, हवन, प्रवचन को लेकर सारी तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। चातुर्मास के प्रति स्थानीय लोगों में बहुत उत्साह है । जोधपुर शहर में जगह-जगह बैनर-पोस्टर लगे हुए हैं।   चातुर्मास स्थल शहर के एक मुख्य मार्ग पर स्थित है, इसलिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

गुरु पूर्णिमा शुभकामना

जीवन यात्रा की आध्यात्मिक भावनामय विश्राम स्थली का नाम गुरु पुर्णिमा है। प्रत्येक व्यक्ति लौकिक-भौतिक व्यवस्था के साथ आध्यात्मिक विश्राम चाहता हैं, एतदर्थ उसका चिन्तन-मनन पवित्र दिवस पर अधिक उपादेय एवम् युक्तिसंगत हैं। हम निरन्तर आध्यात्मिक शान्ति की खोज में हैं। उसका उत्तर शान्त-पवित्र भावों में गुरू पूर्णिमा को सुलभ हो सकता हैं।
महर्षि वेदव्यास को श्रद्धा निवेदित करते हुए अपने गुऱुदेव स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी के पावन चरणों में शीश झुकाता हूं।
स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज

आप सबके आनन्दमय, मंगलमय, अभ्युदय पूर्ण, क्रियाशील एवं अनाशक्त जीवन की सफलता के लिए अनंत शुभकामनाएं।
Swami Ramnareshacharya ji an Punjab