Thursday, December 31, 2015

काशी की तस्वीर

Swami Ramnareshacharya, Kashi 
वाराणसी के गंगा तट पर अवस्थित श्रीमठ के समीप की अलौकिक छटा

Friday, December 18, 2015

जयपुर के खाण्डका हाउस में आचार्यश्री का पांच दिवसीय प्रवचन शुरू

जगदगुरु  स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज का पांच दिवसीय प्रवचन 17 दिसंबर से 21 दिसम्बर तक जयपुर में
Swami Ramnareshacharya ji Maharaj
श्रीमठ काशी पीठाधीश्वर रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामनरेशाचार्य जी महाराज का प्रवचन 17 दिसम्बर से जयपुर के पीतल फैक्ट्री स्थित खण्डाका हाउस में चल रहा है। स्वामी श्री रामनरेशाचार्य अपने पांच दिवसीय प्रवास  के क्रम में २१ दिसंबर तक जयपुर में विराजमान रहेंगे। इस दौरान 'संतत सुनिअ राम गुण ग्रामहिं' विषयक धर्मसभा में प्रतिदिन सायंकाल ५ बजे से आचार्यश्री के प्रवचन होंगे। प्रतिदिन श्रीरामललाजी का विशिष्ट पूजन, स्वाध्याय, आचार्य पूजन व विद्वत सभा का आयोजन किया गया है। उसी की दो तस्वीरें यहां दी जा रही है। एक में मंच पर विराजमान आचार्यश्री हैं तो दूसरे में उनका अखबार में प्रकाशित समाचार है।
Swami Ramnareshacharya at Jaipur


Monday, November 30, 2015

गंगा को बचाने के लिए फिर से मातृ सदन का संत सत्याग्रह पर


* देवकुमार पुखराज

Brahmachari Atmabodhanand

हरिद्वार के मातृ सदन के सन्त ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द जी ने गंगा में अवैध और अनधिकृत खनन के दोषी के विरुद्ध कार्रवाई और अवैध खनन सामग्री को खरीदने वाले स्टोन क्रशर को बन्द करने के संकल्प को लेकर 28 नवंबर से तपस्या ( सत्याग्रह ) शुरू किया था, जो आज तीसरे दिन भी जारी है।
ज्ञात हो कि राज्य खनन नियमावाली, केन्द्रीय पर्यावरण मन्त्रालय नई दिल्ली की अधिसूचना 2006 और राज्य स्तरीय या केन्द्रीय स्तर दोनों के तरफ से कानून सम्मत खनन की परिभाषा यही दी जाती है कि जो सामग्री बरसात के दिनों में धारा से आकर नदी के मध्य भाग में इकट्ठा हो जाता है उसका केवल 90 प्रतिशत भाग ही उठाया जायेगा जिसकी पूर्ति पुनः स्वतः बरसात के दिनों में हो जायेगी। नदी के कुल चैड़ाई का चैथाई भाग दोनों किनारों पर सुरक्षित छोड़नले का प्रावधान है। यह भी प्रावधान है कि जलस्तर से नीचे भी खनन नहीं हो सकता।
गंगा में हरिद्वार में जो खनन अब तक हुआ है और अभी हो रहा है वह मानकों/नियमों का उल्लंघन करके हो रहा है। पर्यावरण मंत्रालय, नई दिल्ली की रिपोर्ट दिनांक 27 मार्च 2015 में स्पष्ट वर्णित है कि हरिद्वार में भीमगोड़ा बराज बनने के बाद बोल्डर और पत्थरों की प्रतिपूर्ति सम्भव नहीं है, क्यों कि उपर से पत्थर नहीं आते हैं। वहीं रेत की मात्रा और इकट्ठा होने के स्थान के चिन्हीकरण को लेकर किसी राष्ट्रीय संस्थान से आकलन करवाने की संस्तुति की गई है और उत्तराखण्ड सरकार को समस्त अवैध खनन को बन्द करने को कहा गया है।
swami Shivanand 
केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड, नई दिल्ली और उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देहरादून ने भी जिलाधिकारी हरिद्वार को खनन बन्द करने का निर्देश दिया है, परन्तु जिलाधिकारी उसका अनुपालन नही कर रहे हैं और अखबारों में बयान दे रहे है कि खनन पर रोक नहीं हैइसके अलावे राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली ने अपने आदेश दिनांक 4 फरवरी में स्पष्ट कहा है कि केवल एकत्रित रेत ही उठाया जा सकता है। केन्द्रीय पर्यावरण नई दिल्ली ने रेत की परिभाषा ६ मिली मीटर से २ मिली मीटर के रूप में दिया है। अपने आदेश दिनांक 15 अप्रैल 2015 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने जिलाधिकारी हरिद्वार को अवैध और अनधिकृत खनन बन्द करने को कहा है परन्तु जिलाधिकारी हरिद्वार इन आदेशों की भी अवमानना कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष पहले 2 जून को तत्कालीन मुख्य सचिव जो अब भी मुख्यमन्त्री रावत जी के प्रधान मुख्य सचिव भी हैं, मातृ सदन आये थे और उन्होंने मातृ सदन के तथ्यो से सहमत होते हुए कहा कि रायवाला से भोगपुर के क्षेत्र में जो कुछ बोल्डर/पत्थर है वह जमीन के नीचे है और उसका रहना नदी के लिए आवश्यक है। तथ्य यह भी है कि रायवाला से भोगपुर तक रेत धारा के बीच में नहीं ठहरता है बल्कि नीचे जाकर ही रुकता है जिसका अध्ययन करवाकर निर्णय लिया जा सकता है। दिनांक 7 जून को स्वयं मुख्यमन्त्री श्री हरीश रावत जी मातृ सदन आये और इसी आश्वासन पर तपस्या को समाप्त करवाया था
परन्तु यह कडवा सच है कि गंगा किनारे लगे दो दर्जन से ज्यादा स्टोन क्रशर चल रहे है और गगा का सीना छलनी कर ही अपना व्यवसाय कर रहे है। आज तक इन स्टोन क्रशरों के विरुद्ध कोई कार्रवाई तक नहीं हुइ है। इनके द्वारा चादीवारी के अन्दर तालाब बनाकर अवैध माल का भण्डारण किया जाता है ताकि चोरी के माल को दबाया जा सके। प्रशासन को सूचना देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। ऐसी परिस्थित में मातृ सदन के पास सत्य को उजागर करने और माँ गंगा की रक्षा करने के लिये तपस्या/सत्याग्रह के अलावा और कोई रास्ता शेष नहीं रह जाता

Wednesday, August 26, 2015

पू्र्व लोकसभा सांसद ब्रह्मचारी विश्वनाथ दास शास्त्री का निधन

Vishwanath Das Shastri 

बीजेपी के पूर्व सांसद और अयोध्या स्थित दर्शन भवन मंदिर (स्वामी रामानंद मंदिर) के श्री महंत विश्वनाथ दास शास्त्री का कल लम्बी बीमारी के बाद दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। श्री शास्त्री को लीवर और हृदय की बीमारी थी, उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली से विमान द्वारा अयोध्या लाने की तैयारी की जा रही है। आज ही उनका अंतिम संस्कार सरयू तट पर होगा।
सन 1950 में बिहार के सीतामढ़ी जिले में जन्में शास्त्रीजी बचपन से ही आरएसएस से जुड़े रहे और अविवाहित रहे। काशी के संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से संस्कृत साहित्य में एमए करने के बाद पूरा जीवन ही संघ और धर्म को समर्पित कर दिया। संघ के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए वनवासी सेवा केन्द्र के जरिये भी उन्होंने देश की खूब सेवा की। प्रखर ओजस्वी भाषण उनकी पहचान थी।
अयोध्या से सटे सुल्तानपुर से 1991 में वे बीजेपी की टिकट पर दसवीं लोकसभा के लिए चुने गये। बावजूद इसके उनके सादगी, ईमानदारी देखने लायक थी। पूर्व एमपी के रुप में मिलने वाली अधिकांश सुविधाओं का भी उन्होंने त्याग कर रखा था। जब बीमार पड़े तभी जाकर फिर से मेडिकल सटिफिकेट बनवाया, ताकि एम्स में इलाज हो सके।
अभी पिछले दिनों संभवतः 4 जून,2015 को अयोध्या प्रवास के दौरान उनके दर्शन और सत्संग का लाभ मिला था। शरीर कमजोर था फिर भी आभामंडल देखने लायक थी। उनके साथ बैठकर बातचीत करने और उस दौर की राजनीति को समझने का वो अंतिम मौका मिला था।  उनके रहन-सहन को देखकर ऐसा लगा था कि कैसे लोग थे वे। सांसद रहे फिर भी हाथ हमेशा तंग रहा। कोई दिखावा और आडम्बर नहीं। बेहद सामान्य जीवन जीते हुए हरिनाम जपते हुए वे चले गय़े। जब तक शरीर साथ दिया खूब काम किया। देश सेवा और धर्म की सेवा में ही जीवन लगा दिया। लेकिन अपने लिए कुछ नहीं रखा।
 हमारे अग्रज रामगोपाल चौधरी तो बेहद भावुक से हो गये थे। उनको आराम मिले इसलिए कमरे में एसी लगवाने का उसी दिन ऑडर दिया फिर आश्रम में एक वातानुकूलित कमरा बनवाने के लिए भी एक लाख रुपया दिया। तय हुआ था कि नई सीता रसोई जब बनकर तैयार हो तो उसका भव्य उदघाटन कराया जाए। लेकिन नीयती को तो शायद कुछ और ही मंजूर था। चौधरी भैया उनको स्वास्थ्य लाभ के लिए हैदराबाद भी लाना चाहते थे। उन्होंने हामी भी भर दी थी। लेकिन लगता है भगवान अपने बैकुंठ धाम में उनका इंतजार कर रहे थे।

Thursday, July 30, 2015

जोधपुर में दिव्य चातुर्मास महोत्सव शुरू



  सगुण-निर्गुण रामभक्ति परंपरा और रामानंद संप्रदाय के मूल आचार्यपीठ, श्रीमठ, पंचगंगा घाट, काशी के वर्तमान आचार्य जगदगुरु रामानन्दाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज का चातुर्मास 30 जुलाई, 2015 से जोधपुर में प्रारम्भ हो गया। गुरुवार को भव्य शोभायात्रा के साथ महाराज श्री को जूनाखेड़ापति मंदिर तक लाया गया, जहां अगले दो माह तक वे विराजेंगे।

आज गुरु पूर्णिमा पर्व के साथ ही दिव्य चातुर्मास महोत्सव का विधिवत आरंभ हो गया।  

SWAMI RAMNARESHACHARYA
जोधपुर के प्रसिद्ध जूनाखेड़ापति मंदिर परिसर में महाराजश्री के चातुर्मास अनुष्ठान के दौरान राम भावानुकूल अनेक धार्मिक प्रवृतियों का समायोजन होगा। बीच-बीच में बड़े धार्मिक उत्सव भी होंगे। सावन महीने में प्रत्येक सोमवार को भगवान शंकर का भव्य अभिषेक होगा। सुबह से शाम तक विविध मांगलिक कार्यक्रम होंगे, जिसमें हवन, पूजन, सहस्त्राचन, देव-पितृ तर्पण यज्ञ, स्वाध्याय औऱ संध्या समय भजन-प्रवचन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। बीच में पड़ने वाले सारे पर्व-त्यौहार भी उत्सव नुमा माहौल में मनाए जाएंगे।कार्यक्रम स्थल पर ही नियमित रुप से भजन और भंडारे का प्रबंध किया गया है।  देश भर से अनेक संत और विद्वान के साथ बड़ी संख्या में भक्तगण भी चातुर्मास के दौरान जोधपुर पधारेंगे। इनके ठहरने का भी प्रबंध चातुर्मास समिति ने किया है।

उल्लेखनीय है कि महाराजश्री ने वर्ष १९९४ में भी जोधपुर में चातुर्मास व्रत किया था। पूरे २० साल बाद जोधपुर में फिर से चातुर्मास समायोजित हुआ है।   एक खास बात यह है कि पिछले चातुर्मास में भी आयोजन समिति के अध्यक्ष सेनाचार्य स्वामी अचलानन्द जी गिरि थे और इस बार भी उन्हीं की अध्यक्षता में कार्यक्रम शुरू हुआ है। 

स्वामी रामनरेशाचार्य
जूनाखेड़ापति मंदिर परिसर में नियमित पूजन, हवन, प्रवचन को लेकर सारी तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। चातुर्मास के प्रति स्थानीय लोगों में बहुत उत्साह है । जोधपुर शहर में जगह-जगह बैनर-पोस्टर लगे हुए हैं।   चातुर्मास स्थल शहर के एक मुख्य मार्ग पर स्थित है, इसलिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

गुरु पूर्णिमा शुभकामना

जीवन यात्रा की आध्यात्मिक भावनामय विश्राम स्थली का नाम गुरु पुर्णिमा है। प्रत्येक व्यक्ति लौकिक-भौतिक व्यवस्था के साथ आध्यात्मिक विश्राम चाहता हैं, एतदर्थ उसका चिन्तन-मनन पवित्र दिवस पर अधिक उपादेय एवम् युक्तिसंगत हैं। हम निरन्तर आध्यात्मिक शान्ति की खोज में हैं। उसका उत्तर शान्त-पवित्र भावों में गुरू पूर्णिमा को सुलभ हो सकता हैं।
महर्षि वेदव्यास को श्रद्धा निवेदित करते हुए अपने गुऱुदेव स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी के पावन चरणों में शीश झुकाता हूं।
स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज

आप सबके आनन्दमय, मंगलमय, अभ्युदय पूर्ण, क्रियाशील एवं अनाशक्त जीवन की सफलता के लिए अनंत शुभकामनाएं।
Swami Ramnareshacharya ji an Punjab

Thursday, January 8, 2015

वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय को जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार


श्रीमठ,काशी की ओर से प्रतिवर्ष दिया जाने वाला एक लाख रुपये का जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार इस वर्ष देश के जाने-माने पत्रकार औऱ राजनीतिक विश्लेषक रामबहादुर राय को दिया जाएगा। स्वामी रामानंद जयंती के अवसर पर वाराणसी के नागरी नाटक मंडली सभागार में 12 जनवरी को संध्या समय राय साहब को एक लाख रुपये नकद, अंग वस्त्रम्, प्रशस्ति पत्र आदि प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। रामानंद संप्रदाय के प्रधान आचार्य और श्रीमठ पीठाधीश्वर स्वामी रामनरेशाचार्य के जगदगुरु रामानंदाचार्य पद पर प्रतिष्ठित होने के 25 साल पूरे होने पर रजत जयंती वर्ष मनाया जा रहा है, इसी कड़ी में वर्षपर्यन्त आयोजित कार्यक्रमों का समापन समारोह 10 जनवरी से 14 जनवरी तक काशी में आयोजित है। राय साहब के अलावे चार अन्य विभूतियों को भी इस साल एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।
    इस वर्ष जिन पांच महान विभूतियों को रामानंदाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है उनमें काशी के वेदमूर्ति विनायक मंगलेश्वर, काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष और आधुनिक पाणिनी कहे जाने वाले आचार्य रामयत्न शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार और यथावत पाक्षिक पत्रिका के संपादक रामबहादुर राय, मूर्धन्य साहित्यकार प्रोफेसर कृष्णदत्त पालीवाल (दिल्ली) और संत साहित्य के मर्मज्ञ डॉ. उदय प्रताप सिंह शामिल हैं। सभी को एक-एक लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और अंग वस्त्रम् से सम्मानित किया जाएगा।
    श्रीमठ की ओर से हर साल हिन्दी और संस्कृत साहित्य के एक महामनीषी को एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाता है। इसी कड़ी को आगे बढा़ते हुए रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में एक साथ पांच मनीषियों को इस बार रामानंदाचार्य पुरस्कार से नवाजा जा रहा है। समारोह में देश के जाने-माने विद्वान, राजनीतिज्ञ, संत-महात्मा और साहित्य-संस्कृति के मूर्धन्य लोग शामिल हो रहे हैं। पूरे कार्यक्रमों का समायोजन श्रीमठ महोत्सव न्यास, काशी ने किया है।
    काशी के पंचगंगा घाट पर अवस्थित श्रीमठ ऐतिहासिक मठ है जिसका गौरवशाली इतिहास रहा है। करीब सात सौ साल पहले इसी मठ को स्वामी रामानंद ने अपनी साधना स्थली बनाई थी। यही रहते हुए उन्होंने संत कबीरदास, रविदास , धन्ना जाठ और पीपा नरेश जैसे शिष्यों को दीक्षा दी थी। इस रुप में श्रीमठ को रामानंद संप्रदाय और रामभक्ति परंपरा का मूल आचार्यपीठ होने का गौरव हासिल है। यह एक साथ सगुण और निर्गुण रामभक्ति परंपरा का संवाहक केन्द्र रहा है।  मध्यकालिन भक्ति आंदोलन में स्वामी रामानंद का अतुलनीय योगदान रहा है। उन्होंने  'जाति-पांत पूछे ना कोई, हरि को भजे सो हरि का होई ' का नारा देकर उस समय समाज में व्याप्त जातीय विद्वेष और पाखंड के खिलाफ अलख जगाई थी।