Tuesday, April 29, 2014

जय जय सुरनायक

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनत पाल भगवंता
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधु सुता प्रिय कंता
पालन सुर धरनी अदभुत करनी मरम जानइ कोई
सो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई
जय जय अविनाशी सब घट बासी व्यापक परमानंदा
अबिगत गोतितं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगत मोह मुनिवृंदा
निसि बासर ध्यावहीं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा
जेहि सृष्टि उपाई त्रिबिधि बनायी संग सहाय न दूजा
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिय भगति न पूजा
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन विपति बरुथा
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुरजूथा
सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुं कोउ नहिं जाना
जेहि दीन पिआरे वेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना
सब बारिधि मंदर सब विधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा

मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पदकंजा।।


साभार-श्रीरामचरितमानस के बालकांड से

Thursday, April 10, 2014

अयोध्या में स्वामी रामनरेशाचार्य का जगदगुरु रामानंदाचार्य पद प्रतिष्ठा का रजत जयंती समारोह संपन्न

रामभक्ति परंपरा और रामानंद संप्रदाय के मूल आचार्यपीठ, श्रीमठ, पंचगंगा घाट,काशी के वर्तमान आचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य के जगदगुरु रामानंदाचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुए 25 साल हो गये। श्रीमठ इस वर्ष को आचार्यश्री की पद प्रतिष्ठा की रजत जयंती वर्ष के तौर पर मना रहा है। श्रीमठ की ओर से वर्ष पर्यन्त विविध कार्यक्रमों का समायोजन किया जा रहा है। इसकी शुरुआत अयोध्या में नवरात्र के दौरान आयोजित समारोह से हुई। नौ दिनों तक चले कार्यक्रम में सुबह से दोपहर तक धार्मिक कार्यक्रम होते रहे और शाम में संगीत की महफिल सजती थी, जिसमें नामी-गिरामी कलाकार भगवान श्रीराम के लिए बधाई गान गाते थे। पहले दिन कोलकाता से आए सुख्यात बांसुरी वादक रोनू मजुमदार ने समां बांधा था। बीच के दिनों में मालिनी अवस्थी, भरत शर्मा व्यास, इंदौर की कल्पना जोगारकर, कोलकाता के अर्णव चटर्जी, वाराणसी के प्रो. राजेश्वर आचार्य, रायपुर के स्वामी जी सी डी भारत, मुम्बई के अखिलेश चतुर्वेदी, वाराणसी के देवाशीष डे, मुम्बई की श्रीमती कंकन बनर्जी आए। अंतिम दिन यानि श्रीरामनवमी को विख्यात भजन गायक रवीन्द्र जैन ने समापन समारोह में चार-चांद लगा दिया। अयोध्या के जानकी घाट स्थित श्रीरामवल्लभा कुंज सहित बाकी प्रमुख वैरागी आश्रमों में अलग-अलग दिन कार्यक्रम हुए। अंतिम दिन छोटी छावनी के नाम से प्रसिद्ध मणिराम दास की छावनी में कार्यक्रम हुआ। पूरे कार्यक्रमों में देश भर से आए रामानंदी साधु-संत, श्रीमहंत, श्रीमठ के भक्त और अयोध्याजी के प्रमुख संतों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।