Sunday, June 30, 2013

कलियुग के सुरदास, जिन्हें कंठस्थ है पूरा रामायण

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में दोनों आंखों की रोशनी खो चुके मदनदास को गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्री रामचरित मानस, दोहावली, कवितावली, हनुमान बाहुक और विनय पत्रिका सहित हनुमान चालीसा पूरी तरह कंठस्थ हो गयी है। इसके साथ ही श्रीमद्भागवत गीता का प्रथम, द्वितीय और तृतीय अध्याय भी पूरी तरह याद हो गया है। इसे पूरा याद करने के बाद वह महाकवि सूरदास के महाकाव्य सूरसागर को पूरा याद करेंगे।

जौनपुर जिले की मडियाहूं तहसील एवं राम नगर विकास खण्ड के बलभद्रपुर गांव के निवासी श्रीराम मौर्य के पुत्र के रुप में वर्ष 1954 में मंगरु राम उर्फ मदनदास का जन्म हुआ था। मगरु राम जब लगभग तीन साल के थे तब उन्हें चेचक निकला और दोनों आंखों की रोशनी चली गयी। मंगरु राम के पिता श्री राम मौर्य की तबीयत भी उसी समय खराब हुई और वह दुनिया से चल बसे। पिता की मृत्यु के बाद उनका लालन-पालन चाचा ने किया। मंगरु राम ने 22 वर्ष की अवस्था में ही अपना मन भगवान के चरणों में लगा लिया और उसी समय से अपना नाम मंगरुराम से बदल कर मदनदास रख लिया अब ये मदनदास उर्फ सूरदास के नाम से जाने जाते हैं।

मदनदास उर्फ सूरदास ने बताया कि वर्ष 1975 में उन्होंने श्री रामचरित मानस को कंठस्थ करने की बात अपने मन में ठान ली थी यह काम बड़ा कठिन था मगर दृढ़ इच्छा शक्ति से संभव था। उन्होंने अपने गांव के एक बालक से कहा, तुम रामचरित मानस की चौपाई, दोहे तथा श्लोक कम से कम तीन बार पढ़ कर मुझे सुनाओ तो मैं उसे याद कर लूंगा।

पांच वर्ष के कठिन परिश्रम के पश्चात 1980 में इन्हें श्री रामचरित मानस सम्पूर्ण कंठस्थ हो गया। उन्होंने कहा कि श्री रामचरित मानस में कुल चार हजार छह सौ बाइस चौपाई, एक सौ अस्सी छन्द, एक हजार चौहत्तर दोहे तथा नौ श्लोक हैं। सूरदास को पूरी उम्मीद है कि अब वह जो भी धार्मिक ग्रंथ याद करना चाहेंगे उन्हें याद हो जाएगा।

इस समय वह श्रीमद्भागवत गीता याद करने में जुटे है अब तक उन्हें इसका प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय अध्याय पूरी तरह याद हो गया है। सूरदास ने दावा किया है कि दो वर्ष के अन्दर वह पूरी श्रीमद्भागवत गीता याद कर लेंगे और इसके बाद वह महाकवि सूरदास रचित महाकाव्य, सूर सागर को याद करेंगे। उन्होंने बताया कि इस समय वह जिले में स्थित अनेक विद्यालयों में जाते है और विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा के बारे में जानकारी देते है इसके बदले उन्हें कुछ धन मिल जाता है उसी से इनका भरण पोषण होता है।

चावल के दाने पर लिखी रामायण

जमशेदपुर के लाल का कमाल
प्रतिभाएं परिस्थितियों की मोहताज नहीं होतीं. कठिन से कठिन परिस्थितियों के बीच से भी वह उभर कर सामने आती हैं. अगर उचित अवसर और मंच मिले तो उनमें तेजी से निखार आता है. ऐसी ही प्रतिभा के धनी हैं, झारखंड के जमशेदपुर के कीताडीह निवासी 17 वर्षीय नवीन कुमार. ये चावल के दाने पर पेंटिंग बनाते हैं.

पेंटिंग बनाते समय ये किसी तरह के सिग्नीफिकेंट ग्लास का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि चिमटा के सहारे चावल के दाने को पकड़ कर अपनी पेंटिंग तैयार करते हैं. अब तक चावल के दाने पर उन्होंने रामायण, बाइबल, महाभारत व कुरान लिखा है. वे रवींद्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी, भगत सिंह का पोट्रेट व भगवान गणोश की पेंटिंग बना चुके हैं.

चावल पेंटिंग में गहरी दिलचस्पी

पिछले चार सालों से आर्टिस्ट मानिक साव के निर्देशन में नवीन पेंटिंग सीख रहे हैं, लेकिन चावल में पेंटिंग बनाने की कला उनकी अपनी है. इसे उन्होंने अपनी कोशिश से उभारा है.

नवीन माइक्रो आर्टिस्ट बनना चाहते हैं. इनके पिता आदित्यपुर की एक कंपनी में प्राइवेट जॉब में हैं. नवीन को-ऑपरेटिव कॉलेज से इंटर की पढ़ाई कर रहे हैं. छोटा भाई कक्षा नौ में पढ़ता है. मां गृहिणी हैं.

नवीन के अनुसार घर की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं है. हर महीने वे पेंटिंग में दो पोट्रेट बनाते हैं. उसमें काफी खर्च आता है. कलर भी बहुत महंगे आते हैं. प्रैक्टिस में ही इतने खर्च हो जाते हैं कि आगे अन्य चित्रकारों की तरह पेंटिंग की इच्छा होते हुए भी बना नहीं पाते. चावल के दाने में पेंटिंग बनाने में कम खर्च होता है और माइक्रो पेंटिंग भी हो जाती है.

Friday, June 14, 2013

अयोध्या में जगदगुरु स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज की प्रेसवार्ता

श्रीमठ,काशी पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज तीन दिवसीय श्रीराम रामानंद भावाभिसिक्त यात्रा के क्रम में वर्ष 2008 के मार्च महीने में अयोध्याजी पहुंचे थे। रामलला के दर्शन, सरयू जी  का पूजन और स्नान, विभिन्न संत-श्रीमहंतों द्वारा अभिनंदन और आश्रमों में पधरावणियों के बीच ही उन्होंने सम-समायिक राजनीतिक परिस्थियों और धार्मिक ज्वलंत विषयों पर अपनी बेबाक राय रखी। उसी का एक वीडियो क्लिप आप सबके लिए यहां पेश है।

Wednesday, June 12, 2013

जगदगुरु स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी का श्रीअयोध्या यात्रा

रामभक्ति परंपरा के मूल आचार्यपीठ, श्रीमठ,काशी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज, साल 2008 में तीन दिनों के लिए अयोध्याजी की यात्रा पर गये थे। अयोध्या में रामानंद संप्रदाय के संतो, श्रीमहंतों और अखाड़े के संतो ने अपने आचार्य का जोरदार स्वागत किया था। अयोध्या यात्रा के पहले दिन महाराजश्री ने सरयू स्नान और पूजन किया था। उसी श्रीराम रामानंद भावाभिसिक्त यात्रा के दौरान का एक वीडियो चित्र जो 30 मार्च,2008 को लिया गया था।

बक्सर में श्रीमठ करेगा शतमुख कोटि होमात्मक श्रीराम महायज्ञ

महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि बक्सर में एक विराट श्रीराम महायज्ञ करने का संकल्प जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज ने लिया। आगामी सात दिसम्बर से 15 दिसम्बर,2013 तक चलने वाले यज्ञ में देश भर से शीर्ष संत-महात्मा, श्रीमहंत, भजन गायक और सुख्यात लीला मंडली के कलाकार भाग लेंगे। कई शताब्दी बाद धर्मनगरी बक्सर में इस तरह का भव्य यज्ञ देखने और उसमें भाग लेने का सुअवसर सनातन धर्मावलम्बियों को प्राप्त होगा। इस यज्ञ का नाम शतमुख कोटि होमात्मक श्रीराम महायज्ञ होगा। इसमें सौ हवन कुंड बनेंगे जिसमें एक करोड़ आहुतियां डाली जाएंगी। सबसे बड़ी बात ये है कि यह यज्ञ उस पीठ की ओर से हो रहा है जिसे देश में रामभक्ति परंपरा और रामानंद संप्रदाय का मूल आचार्यपीठ का गौरव हासिल है। यज्ञ के संकल्पक स्वयं वर्तमान जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज हैं, जो रामावत संप्रदाय के जगदगुरु हैं। यज्ञ को ऐतिहासिक स्वरुप देने के लिए महाराज श्री ने 11 जून को बक्सर का दौरा किया और वहां यज्ञ तैयारी समिति से जुड़े स्थानीय लोगों के साथ बैठक की। ईटीवी से बातचीत के दौरान महाराज श्री ने यज्ञ के स्वरुप और तैयारियों के बाबत जो जानकारी दी ,उसे उन्हीं की भाषा में यहां आप सुन सकते हैं।

Tuesday, June 11, 2013

बक्सर में श्रीमठ की ओर से विराट श्रीराम महायज्ञ दिसम्बर में

महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि बक्सर में एक विराट श्रीराम महायज्ञ करने का संकल्प जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज ने लिया। आगामी सात दिसम्बर से 15 दिसम्बर,2013 तक चलने वाले यज्ञ में देश भर से शीर्ष संत-महात्मा, श्रीमहंत, भजन गायक और सुख्यात लीला मंडली के कलाकार भाग लेंगे। कई शताब्दी बाद धर्मनगरी बक्सर में इस तरह का भव्य यज्ञ देखने और उसमें भाग लेने का सुअवसर सनातन धर्मावलम्बियों को प्राप्त होगा। इस यज्ञ का नाम शतमुख कोटि होमात्मक श्रीराम महायज्ञ होगा। इसमें सौ हवन कुंड बनेंगे जिसमें एक करोड़ आहुतियां डाली जाएंगी। सबसे बड़ी बात ये है कि यह यज्ञ उस पीठ की ओर से हो रहा है जिसे देश में रामभक्ति परंपरा और रामानंद संप्रदाय का मूल आचार्यपीठ का गौरव हासिल है। यज्ञ के संकल्पक स्वयं वर्तमान जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज हैं, जो रामावत संप्रदाय के जगदगुरु हैं। यज्ञ को ऐतिहासिक स्वरुप देने के लिए महाराज श्री ने 11 जून को बक्सर का दौरा किया और वहां यज्ञ तैयारी समिति से जुड़े स्थानीय लोगों के साथ बैठक की। ईटीवी से बातचीत के दौरान महाराज श्री ने यज्ञ के स्वरुप और तैयारियों के बाबत जो जानकारी दी ,उसे उन्हीं की भाषा में यहां आप सुन सकते हैं।

जगदगुरु स्वामी रामनरेशाचार्यजी महाराज का अयोध्या प्रवास


रामभक्ति परंपरा के मूल पीठ, श्रीमठ,काशी के वर्तमान आचार्य जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्यजी महाराज ने पिछले दिनों अयोध्याजी जाकर भगवान श्रीरामलला का दर्शन किया था,.उसी मौके का वीडियो क्लिप यहां प्रस्तुत है।

प्रेस क्लब इंदौर में महाराजश्री का संबोधन

Swami Ramnareshacharya ji Maharaj in Indore Press Club.

जगदगुरु स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य ने किया अयोध्या में श्रीरामलला का दर्शन

रामभक्ति परंपरा के मूलपीठ,श्रीमठ,काशी के जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज ने पिछले दिनों अयोध्या में भगवान श्रीरामलला का दर्शन किया था। उसी का वीडियो क्लिप
 जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज का इंदौर प्रेस क्लब में संबोधन

Sunday, June 9, 2013

मंगलगीतम्

मंगलगीतम—-जय जय देव हरे
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श्रितकमलाकुचमण्डल धृतकुण्डल ए।
कलितललितवनमाल जय जय देव हरे।।
दिनमणिमण्डलमण्डन भवखण्डन ए।
मुनिजनमानसहंस जय जय देव हरे।। श्रित ..।।
कालियविषधरगंजन जनरंजन ए।
यदुकुलनलिनदिनेश जय जय देव हरे।। श्रित ..।।
मधुमुरनरकविनाशन गरुडासन ए।
सुरकुलकेलिनिदान जय जय देव हरे।। श्रित .. ।।
अमलकमलदललोचन भवमोचन ए।
त्रिभुवनभवननिधान जय जय देव हरे।। श्रित .. ।।
जनकसुताकृतभूषण जितदूषण ए।
समरशमितदशकण्ठ जय जय देव हरे।। श्रित ..।।
अभिनवजलधरसुन्दर धृतमन्दर ए।
श्रीमुखचन्द्रचकोर जय जय देव हरे।। श्रित ..।।
तव चरणे प्रणता वयमिति भावय ए।
कुरु कुशलं प्रणतेषु जय जय देव हरे। श्रित.. ।।
श्रीजयदेवकवेरुदितमिदं कुरुते मृदम्।
मंगलमंजुलगीतं जय जय देव हरे।। श्रित .. ।।
(श्री जयदेव रचित आरती जो जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी को अत्यंत प्रिय है। विशेष पूजा के अवसर पर वे इसी आरती को बड़ी भक्ति भाव से गाते हैं।)

उज्जैन में गुजराती सेन समाज के समारोह में स्वामी रामनरेशाचार्य




पिछले 3 जून को महाकाल की नगरी उज्जैन में गुजराती सेन समाज के समारोह में जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्यजी महाराज शामिल हुए। उनके कर कमलों द्वारा 8 एकड़ भूमि पर एक करोड़ की लागत से बनने वाले विधालय, छात्रावास और वृद्धाश्रम का शिलान्यास हुआ.। उसी समारोह का वीडियो यहां उपलब्ध है.

बिहार के आठ दिवसीय प्रवास पर आरा पहुंचे स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य

बिहार की आठ दिवसीय धर्म यात्रा पर आरा पहुंचे जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज ने कहा है कि देश में ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनना चाहिए जिसमें पूरे देश को एक साथ लेकर चलने की क्षमता हो। आरा में ईटीवी के साथ खास बातचीत में उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी से आरएसएस औऱ उसके दूसरे संगठन के लोग खुश नहीं है, इसीलिए उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने में विलंब हो रहा है।
आरा प्रवास के दौरान महाराजश्री आज यानि 9 जून 2013 को भोजपुर जिले के शाहपुर और बिहियां के कई गांवों का दौरा किया। सबसे पहले वे गंगा तट पर बसे बहोरनपुर गांव में गये और भक्तों को आशीर्वाद दिया। फिर गौरा और बारा आदि गांवों में भी महाराजश्री के प्रवचन हुए। अगले दो दिनों तक स्वामी जी बक्सर जिले के कई गांवों में प्रवास करेंगे। दरअसल बक्सर में आगामी दिसम्बर माह में श्रीमठ की ओर से प्रस्तावित कोटि होमात्मक श्रीराम महायज्ञ की तैयारियां भी शुरू हो गयी हैं। महाराज श्री अपने प्रवास के क्रम में श्रीराम महायज्ञ को लेकर भी भक्तों को निमंत्रित कर रहे हैं।

Monday, June 3, 2013

उज्जैन में गुजराती सेन समाज के छात्रावास-वृद्धाश्रम का भूमिपूजन सम्पन्न



Swami Ramnareshacharya in Ujjain

महाकाल की नगरी उज्जैन में 3 जून,2013 सोमवार को सुबह 10 बजे गढ़कालिका मंदिर के पास गुजराती-सेन समाज की भूमि पर छात्रावास एवं वृद्धाश्रम का भूमिपूजन किया गया। श्रीमठ,काशी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामनरेशाचार्यजी महाराज के पावन सान्निध्य और सेनाचार्य स्वामी अचलानंद जी महाराज की उपस्थिति में भूमि पूजन की रस्म विधि-विधान से पूर्ण हुई।
Swami Ramnareshacharya ,kashi
स्वामी रामनरेशाचार्यजी महाराज ने खुद फावड़ा चलाकर निर्माण कार्य का श्रीगणेश किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि पहले सेन समाज को महाकाल का आशीर्वाद मिला करता था अब उन्हें रहने के लिए आवास, बच्चों के लिए छात्रावास और बुढ़ापे में विश्राम के लिए मकान भी मिल रहा है। इससे समाज के लोगों का गौरव बढ़ेगा।

Swami Ramnareshacharya and Kailash Vijayvargia
स्वामी रामनरेशाचार्यजी महाराज ने खुद फावड़ा चलाकर निर्माण कार्य का श्रीगणेश किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि पहले सेन समाज को महाकाल का आशीर्वाद मिला करता था अब उन्हें रहने के लिए आवास, बच्चों के लिए छात्रावास और बुढ़ापे में विश्राम के लिए मकान भी मिल रहा है। इससे समाज के लोगों का गौरव बढ़ेगा।


Swami Ramnareshacharya and Kailash Vijayvargia
मप्र गुजराती-सेन समाज के अध्यक्ष नंदकिशोर वर्मा, ट्रस्ट अध्यक्ष अशोक राठौर व भरत भाटी ने बताया कि कार्यक्रम को जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य महाराज, काशी, सेनाचार्य स्वामी अचलानंदाचार्य महाराज, जोधपुर,मध्यप्रदेश के  उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, थावरचंद गेहलोत, खाद्य मंत्री पारस जैन, सांसद प्रेमचंद गुड्डू, डॉ. सत्यनारायण जटिया, विधायक सुदर्शन गुप्ता आदि ने संबोधित किया।करीब आठ एकड़ जमीन में एक करोड़ रुपये की लागत से हॉस्टल और वृद्धाश्रम बनेगा और 2016 में होने वाले सिंहस्थ कुंभ से पहले इसका निर्माण पूरा हो जाने का दावा ट्रस्ट से जुड़े लोग कर रहे हैं।


Swami Ramnareshacharya ji Maharaj,Srimath,Kashi