Sunday, January 29, 2012

ज्योतिष सम्मेलन में स्वामी श्री रामनरेशाचार्य जी महाराज

ज्योतिष में शोधपरक कार्य की जरूरत : रामनरेशाचार्य

Updated on: Sat, 21 Jan 2012 09:16 PM (IST)
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ज्योतिष में शोधपरक कार्य की जरूरत : रामनरेशाचार्य

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : बिना किसी औषधि के ज्योतिष के माध्यम से जटिल रोगों का किये जा रहे उपचार से सारा विश्व आश्चर्यचकित है। आज ज्योतिष के ज्ञान को सीमित दायरे से हटाकर शोधपरक करने की जरूरत है, ताकि उससे पूरे विश्व की समस्याओं का समाधान हो सके। यह विचार रामानन्दाचार्य जगद्गुरु रामनरेशाचार्य ने शनिवार को भारतीय विद्या भवन में आई कास द्वारा संचालित ज्योतिष कक्षाओं के सत्रारम्भ एवं उत्तीर्ण छात्रों के लिए आयोजित दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए।

अध्यक्षता कर रहे डीआइजी स्थापना लालजी शुक्ल ने कहा कि ज्योतिष ऐसा प्रकाश है जिससे केवल मनुष्य की समस्याएं ही नहीं बल्कि उसके अंत:करण का अज्ञान दूर होता है। देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि ज्योतिष के बिना अन्य शास्त्रों का ज्ञान भी अधूरा है। आचार्य अविनाश राय ने ग्रहों का आंकलन कर बताया कि आने वाले चुनाव में अशांतिमय की स्थिति रहेगी। आचार्य त्रिवेणी प्रसाद त्रिपाठी ने ज्योतिष के शोधपूर्ण अध्ययन पर जोर दिया। भारतीय विद्या भवन के निदेशक व आई कास के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा.रामनरेश त्रिपाठी ने ज्योतिष शिक्षा के लिए किये जा रहे कार्यो पर प्रकाश डाला। आशुतोष वाष्र्णेय ने स्वागत व संचालन ज्योतिर्विद गुंजन वाष्र्णेय ने किया। चार वर्षीय कृति वाष्र्णेय ने ग्रह नक्षत्रों की जानकारी दी। समारोह में उत्तीर्ण छात्रों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

Sunday, January 22, 2012

स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज जन्मदिन जयपुर में..

रामानंद संप्रदाय के प्रमुख व देश की शास्त्र परंपरा के शिखर मनीषी जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामनरेशाचार्य जी महाराज,श्रीमठ,पंचगंगा घाट,काशी का पावन जन्मदिन महोत्सव इस बार जयपुर में समायोजित है। वसंत पंचमी के पावन सुअवसर पर आप सादर आमंत्रित हैं।

Sunday, January 15, 2012

रामानंदाचार्य पुरस्कार वितरण समारोह के चित्र





डॉ.विवेकी राय को जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार

वाराणसी। जगदगुरु रामानंदाचार्य जयंती के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय समारोह का श्रीगणेश शनिवार को धर्माचार्यों के सानिध्य में हुआ। प्रथम दिन पियरी स्थित श्रीमठ की शाखा श्रीविहारम परिसर में आयोजित सम्मान समारोह में हिंदी और भोजपुरी की स्वनामधन्य साहित्यकार डा. विवेकी राय को रामानंदाचार्य सम्मान से विभूषित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें एक लाख रुपये की धनराशि प्रदान की गई।

जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य एवं गोपाल मंदिर के षष्ठपीठाधीश्वर श्याम मनोहर महाराज के सानिध्य में साहित्यसेवी डा. विवेकी राय को सम्मानित किया गया। स्वामी रामनरेशाचार्य ने उनका तिलक कर एक लाख की राशि का चेक प्रदान किया तो श्याममनोहर महाराज ने उन्हें प्रशस्तिपत्र प्रदान किया।

जगद्गुरु रामानंदाचार्य के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर कार्य करने वाले नगर के 22 साहित्यसेवियों का भी समारोह में अभिनंदन किया गया। इनमें प्रो. बलराम पांडेय, डा. राममूर्ति चतुर्वेदी, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. सुधाकर मिश्र, डा. जितेंद्रनाथ मिश्र, डा. रणजीत सिंह, डा. जगदीश त्रिपाठी, डा. जगदीश प्रसाद मिश्र, परमानंद आनंद, प्रो. अरविंद पांडेय, प्रो. प्रभुनाथ द्विवेदी, डा. पवनकुमार शास्त्री, डा. बलबीर सिंह, डा. समुन जैन, डा. ऋचा सिंह, बृजेश पांडेय के अलावा इटैलियन युवती दानिएला बेवीलाकुवा शामिल हैं। समारोह में संतद्वय के आशीर्वचन से पूर्व प्रो. युगेश्वर, प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी, प्रो. बंशीधर त्रिपाठी ने विचार व्यक्त किए।समारोह का संचालन डा. यूपी सिंह ने किया।


साहित्यकार होने का अहंकार है मुझे
वाराणसी। मैं गरीब साहित्यकार हूं। मेरे पास कार नहीं है लेकिन साहित्यकार होने का अहंकार जरूर है। किंतु आज इस सभा में उस अहंकार को भी गाजीपुर में ही छोड़ कर आया हूं। यह बातें सम्मान से अभिभूत डा. विवेकी राय ने शनिवार को श्रीविहारम में आयोजित समारोह में कहीं। उन्होंने पुराने संस्मरण भी सुनाए। बताया, मुझे याद आता है दिल्ली का वह समारोह जब श्रीरामनरेशाचार्य महाराज के सानिध्य मेें समारोह हो रहा था। उनके आदेश पर पहले मुझे रामनामी ओढ़ाई गई। कुछ देर बाद ही रामनामी की जगह एक कीमती शाल ओढ़ा दी गई। मुझे लगा, शायद अभी मैं वैराग्य के योग्य नहीं हुआ हूं। पूरी तरह संसारी हूं इसलिए रामनामी लेकर शाल दी गई है। अब आप फिर मुझे माया सौंप रहे हैं। कम से कम अब तो मुझे राम नाम का महामंत्र दे ही दीजिए।